FARRUKHABAD : लोहाई रोड स्थित राधा श्याम शक्ति मंदिर में आयोजित संगीतमय सत्संग के द्वितीय दिवस पर आचार्य संतोष भाई ने समर्पण के भाव को व्यक्त किया। उन्होंने श्रोताओं को अपनी ओजस्वी वाणी में ईश्वर के अनन्य रूपों का गुणगान कर रसपान कराया।
उन्होंने कहा कि भगवान के दर्शन से जीव पाप मुक्त हो जाता है। पाप का नाश तो गंगा स्नान से भी हो जाता है परन्तु पाप करने की वृन्ति का अंत नहीं होता। ईश्वर की कृपा से जीव पाप कर्म करने की वृन्ति से मुक्त हो जाता है। ईश्वर की कृपा से संतों का संग मिले सत्संग की प्राप्ति हो तो व्यक्ति का मन पाप के मार्ग से श्रेष्ठ कर्मों में लग जाता है।
‘‘सेवस्य साधु पुरुषं’’ साधु पुरुष की सेवा से मन की सूक्ष्म वासनाओं की निवृत्ति होती है। त्याग करना सहज है परन्तु त्याग से अभिमान की उत्पत्ति होती है। भगवान की भक्ति से वैराग्य प्रकट होता है जो व्यक्ति को सरल और निनम्र बनाता है।
दुख भक्ति प्राप्त करने का साधन है जब जीवन में दुख आये तो प्रभु की शरण में जाना चाहिए, कुंती महारानी ने दुखों को ही अपनी भक्ति का साधन बना लिया, भगवान से उन्होंने दुख ही मांगा। भगवान की प्राप्ति सुखों के लिए नहीं अपितु जीवन की सदगति के लिए है। भजन से भक्त के भाव पवित्र हो जाते हैं।
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आयोजन समिति के लोगों द्वारा लघु सत्संग के रूप में आयोजित सत्संग बहुत ही आनंदमय हुआ। इसके लिए सभी लोग बधाई के पात्र हैं। आयोजक समिति में रामचन्द्र जालान, बृजकिशोर, अरुण प्रकाश तिवारी ददुआ, कमल सिगतिया आदि शामिल रहे।