मिशन 2014: प्रभातफेरी कांड में फंसे भाजपाइयों के खिलाफ मुकदमा होगा वापस

Uncategorized

BJPफर्रुखाबाद: मिशन 2014 पर सभी की निगाहे है| उधर भाजपा के फायर ब्रांड नेता वरुण गाँधी का मुकदमा अदालत में फेल हो गया तो फर्रुखाबाद में हिंदुत्व के मुद्दे पर हुए आन्दोलन में फसे 56 भाजपाइयो पर भी अखिलेश सरकार की मेहरबानी होने वाली है| क्या उत्तर प्रदेश सरकार की अदालत में चल रहे मुकदमे के बोझ कम करने का ये प्रयास है या फिर निशाने पर युवा वोट बैंक है| क्योंकि ज्यादातर वापस हो रहे मुकदमो में युवा ही फसे है, वो जाति सम्प्रदाय कोई भी हो?

अब तो वाकई में युवाओं पर मेहरबान हो गयी है अखिलेश सरकार। प्रभातफेरी आंदोलन के मुकदमें में फंसे 62 भाजपा और संघ नेताओं के खिलाफ चार साल से चल रहे मुकदमें को वापस लेने जा रही है अखिलेश सरकार। कानून के जानकारों का भी अलग अलग मत है इस मामले में| कुछ का मानना है कि इससे कानून तोड़ने वालो को बल मिलेगा| तो वहीँ कुछ का मानना है कि इस तरह से अदालतों में लंबित मुकदमो की संख्या कम होगी| इस मसले पर सपा भाजपा के एक ही बोल निकल रहे है वहीँ बसपा इसे कानून का उल्लंघन मान रही है| कांग्रेस खामोश है| मामला मुस्लिम वोटो का जो है|

[bannergarden id=”8″]
जरा फ़्लैश बैक में चलते है- 18 जनवरी 2009 को फर्रुखाबाद में पांडा बाग़ मंदिर से एक प्रभात फेरी निकाली गयी थी| जिसका नेतृत्व भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रांशु द्विवेदी कर रहे थे| इस प्रभात फेरी को कुछ मुस्लिम इलाको से निकलने की वजह से पुलिस ने रोका था| जिस दौरान पुलिस और भाजपाइयो में जमकर झड़प हुई थी| एक दरोगा की मोटरसाइकिल जलाई गयी, सीओ को उठा-उठा कर पटका गया था|

संघ और भाजपा के नेता जमा थे ऐतिहासिक पंडा बाग मंदिर में। कुछ संतों को भी मुखौटा बनाया था। ताकि हिन्दुत्व के मुद्दे पर निकलने वाली प्रभातफेरी को और धार दी जा सके। लेकिन, प्रशासन ने प्रभातफेरी के लिए इजाजत नहीं दी थी। भाजपाई प्रभातफेरी निकालने पर आमादा थे और पुलिस इसे रोकने पर। टकराव तय था और जैसे ही भाजपाइयों ने मंदिर से बाहर पैर रखे वैसे ही पुलिस ने बल प्रयोग शुरु कर दिया। इसके बाद का मंजर तो बहुत भयानक था।पुलिस ने लोगों को रोकने के लिए जमकर लाठियां चटकाईं और मुकाबले में भाजपाई,युवा मोर्चा, विहिप, बजरंग दल, विद्यार्थी परिषद और हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी पुलिस से जमकर भिड़े।

चौक पर दरोगा की मोटर साइकिल आग के हवाले कर दी गयी तत्कालीन सीओ अरविन्द गुप्ता के भी ईंट पत्थर लगे, वे चुटहिल हुए थे। मामले में प्रांशु दत्त द्विवेदी सहित एक दर्जन को जेल जाना पड़ा| उनके जेल में रहने के दौरान उन पर रासुका तामील कर दी गयी। इस मामले में सात मुकदमे दर्ज हुए और 12 धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। मुकदमा संख्या 226/09 राज्य सरकार बनाम ध्रुव दीक्षित व अन्य, मुकदमा संख्या 249/09 राज्य सरकार बनाम विक्रांत अवस्थी, मुकदमा सं. 203/09 सुधांशु दत्त द्विवेदी व अन्य, मुकदमा संख्या 204/09 राज्य सरकार बनाम मोहित गुप्ता व अन्य, मुकदमा संख्या 206/09 मनोज राजपूत व अन्य, मुकदमा संख्या 209/09 राज्य सरकार बनाम अंकुर मिश्रा और मुकदमा संख्या 272/09 राज्य सरकार बनाम सौरभ गुप्ताव व अन्य।

[bannergarden id=”11″]
जो भाजपा नेता फंसे थे-
1.प्रांशु दत्त द्विवेदी, राष्ट्रीय मंत्री भााजयुमो 2. राम निवास भारती, महामंत्री भाजपा 3. मान सिंह पाल, कानपुर क्षेत्र के उपाध्यक्ष भाजपा 4. पीयूष पाल, जिला मंत्री भाजपा 5. हिमांशु गुप्ता, जिला उपाध्यक्ष भाजपा 6. अभिषेक त्रिवेदी, प्रमुख विद्यार्थी परिषद 7. हरिश्चन्द्र पाठक, नगर अध्यक्ष विहिप 8. आशुतोष अवस्थी, जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा 9. आदित्य मिश्र, क्षे़त्रीय अध्यक्ष युवा मोर्चा और ऐसे ही 65 नेता जिनमें से मुकदमें के दौरान तीन की मृत्यु हो गयी। अखिलेश सरकार इस मुकदमे को वापस लेने जा रही है। मामले के अधिवक्ता सुदेश गंगवार ने बताया कि मामले में प्रशासन और पुलिस ने जांच करा कर रिपोर्ट शासन को भेज दी है। उधर, कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाये श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दीक्षित का कहना है कि शासन पूरी तरह से जांच कराने के बाद उन मुकदमों को वापस कर रही है जो बदले की भावना से दर्ज किए गये थे।