छुट्टी न मिलने से बनते हैं सैनिकों के विवाहेतर रिश्ते

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indian-armyतैनाती के दौरान सैनिकों को लगातार अपने घरों से दूर रहना पड़ता है। ऐसे में अगर उन्हें समय-समय पर छुट्टी नहीं दी जाती है तो इससे उनमें विवाहेतर संबंध पनपने की संभावना बढ़ जाती है।यही नहीं गंभीर स्थितियों में अक्सर उनका व्यवहार भी काफी नकारात्मक हो जाता है और छेड़खानी जैसे गलत हरकतें करने लगते हैं। सेना के एक नए अध्ययन में किए गए दावे से यह बात सामने आई है।

अपने अध्ययन ‘सेना में बच्चियों की देखभाल और महिलाओं की गरिमा को बढ़ाने के लिए रोडमैप’ में जोधपुर की 12वीं कोणार्क कोर ने पर्याप्त ट्रेनिंग और अनुशासन के पाठ के साथ सैनिकों को नियमित अंतराल पर छुट्टियां देने का सुझाव दिया है।

भावनाओं पर काबू रखने में मदद

इससे सैनिकों को नकारात्मक भावनाओं पर काबू रखने में मदद मिल सकती है। अध्ययन के मुताबिक, ‘पत्नी से दूर रहने पर सैनिकों के जीवन में कई विसंगतियां आ जाती हैं। घर से लगातार दूरी सैनिकों को विवाहेतर संबंध कायम करने के लिए बढ़ावा देता है।’इस साल मार्च में अहमदाबाद की 11वीं इन्फैंट्री डिवीजन के तहत अध्ययन करने वाली 12वीं कोर का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएस राय ने किया था।

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सेना की सभी इकाईयों से इन सुझावों पर अमल करने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि सेना में विवाहेतर संबंध एक अपराध है। अध्ययन में महिलाओं और बच्चियों के सशक्तिकरण पर काफी बल दिया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि इनसे दुर्व्यवहार और हिंसा करने वाले अपराधियों को ‘कड़ी सजा’ दी जानी चाहिए। सैन्य इकाईयों के कमांडिंग ऑफिसर को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं जिनमें महिलाएं और बच्चियां बुरी तरह प्रभावित होती हैं, उन्हें अंजाम देने वाले अपराधियों के प्रति कोई उदारता नहीं बरती जानी चाहिए।

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अध्ययन में महिलाओं के खिलाफ होने वाली कई तरह की हिंसा की पहचान की गई है। इनमें यौन हिंसा, बच्चियों से श्रम, और दहेज संबंधी हिंसा समेत कार्य स्थल और घरों में महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों को चिह्नित किया गया है।

तीन साल में 368 खुदकुशी
रक्षा मंत्री एके एंटनी द्वारा मार्च में लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि 2010 से 2012 तक पिछले तीन सालों के दौरान तीनों सेनाओं के 368 जवान खुदकुशी कर चुके हैं। इनमें 310 स्थल सेना के जवान हैं।

कार्यस्थल पर उचित माहौल का न होना, अवसाद से घिरे होना समेत जवानों को नियमित अंतराल पर छुट्टी न मिलना भी खुदकुशी की प्रमुख वजहों में से एक रहा है। 2010 में कुल 130 ऐसे मामले सामने आए, जबकि 2011 में 129 और और 2012 में 109 लोगों ने खुदकुशी की थी। दिलचस्प बात यह रही कि इन तीन सालों के दौरान 792 लोगों ने समय से पहले ही अपनी सैन्य सेवा से स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले ली थी।