लखनऊ: अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर दाखिले की लालच में इन दिनों निजी बीटीसी कॉलेजों में यह दर्जा हासिल करने की होड़ मची है। मैनेजमेंट में 80 फीसदी से अधिक अल्पसंख्यक सदस्य रखे जा रहे हैं ताकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से इसका दर्जा हासिल किया जा सके। प्रदेश में पहले बीएड कॉलेजों में यह खेल चल रहा था लेकिन अब प्राइवेट बीटीसी कॉलेज प्रबंधन भी इसी राह पर चल पड़े हैं। एक साल पहले तक जहां छह अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेज हुआ करते थे, वहीं अब यह संख्या 15 तक पहुंच गई है। इसमें और इजाफा होने की संभावना है।
• बीटीसी कॉलेज में मैनेजमेंट कोटे की सीटों में हो रहा खेल
• अल्पसंख्यक कॉलेज का दर्जा हासिल करने का बढ़ा चलन
• 50 फीसदी सीटों पर अपने स्तर पर एडमिशन की छूट सबसे बड़ा कारण
दरअसल प्रदेश में निजी क्षेत्र में बीएड या बीटीसी कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा नहीं है, लेकिन अल्पसंख्यक कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा है। प्रदेश में निजी बीटीसी कॉलेज धड़ाधड़ खुल रहे हैं। इस वर्ष अब तक 302 निजी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता दी जा चुकी है। इन कॉलेजों के अलावा इस वर्ष 9 अल्पसंख्यक कॉलेजों को संबद्धता मिली है। प्रत्येक निजी बीटीसी कॉलेज में 50 सीटें होती हैं। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा दी गई व्यवस्था के मुताबिक अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त होने वाले कॉलेज की 50 फीसदी यानी 25 सीटें प्रबंधन अपने स्तर से भर सकता है। जानकारों का कहना है कि इसी को लेकर अल्पसंख्यक कॉलेज का दर्जा लेने की होड़ बढ़ रही है।
राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार को नौ संस्थाओं को अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेज का दर्जा दिया है। इसमें महात्मा बुद्ध लोक कल्याण ग्राम विकास संस्थान, बिजनौर, स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय शारदा नगर, इरम गर्ल्स डिग्री कॉलेज इंदिरा नगर तीनों लखनऊ। इसके अलावा श्रीकृष्ण एजुकेशनल इंस्टीट्यूट अहमदनगर सीतापुर, भगवान आदर्श महाविद्यालय आजमगढ़, सागर कॉलेज ऑफ एजुकेशन अमरोहा, काशीनाथ महाविद्यालय व श्रीकृष्ण सुदामा शिक्षण संस्थान गाजीपुर तथा आचार्य बल्देव संस्थान जौनपुर शामिल है।
निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की तर्ज पर बीएड और बीटीसी कॉलेजों को भी मैनेजमेंट कोटा दिया जाना चाहिए। चूंकि इन कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा नहीं है इसलिए संस्थाएं अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त कर रही हैं।