फर्रुखाबाद: एक जमाना था जब माना जाता था कि भगवान सबसे बड़ा होता है। पर जनपद के एक प्रधान दम्पती ने इस कहावत को गलत साबित कर दिया है। पंचायतीराज व्यवस्था के तहत मिले अधिकार के चलते उनका कर्तव्यबोध इतना बढ़ गया कि अनेक मृतकों के नाम पर इंदिरा आवास आबंटित कर दिये। शायद भगवान ने स्वर्ग में इन बेचारे मृतकों के लिये रहने की समुचित व्यवस्था न की होगी। पर अधिकारियों की मूर्खता देखिये कि अब वह जांच में इन आवासों को जमीन पर ढ़ूड रहे हैं। जब आबंटन ही स्वर्गवासियों के नाम हुआ था, तो आवास भी तो वर्तमान मूल निवास पर ही बना मिलेगा। मर कर ही ढ़ूड सकते हैं। आखिर हुआ न भगवान से बड़ा प्रधान, इसका एक सबूत यह भी है कि तमाम अभिलेखीय प्रमाणों के बावूद अधिकारी इस भगवान रूपी ‘दम्पती’ के विरुद्ध कार्रवाई की हिम्मत नही कर रहे हैं। करें भी तो कैसे, भला हो बसपा राज में सत्ता की हनक का कि, इनमे से एक इस समय ब्लाक प्रमुख है तो दूसरा जिला पंचायत सदस्य। सत्ता बदली पर, पुरानी सत्ता के अधिकारी अभी पुरानी हनक के चंगुल से बाहर आने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। गुलामी की बू और जूते की चोट का दर्द कई पीढियों तक नहीं जाता है। जूता चाहे चमड़े का हो या चांदी का, कोई फर्क नहीं पड़ता। बेचारा वर्तमान प्रधान इस संबंध में शिकायतें लिये दर-ब-दर भटक रहा है। अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। प्रधान ने अब आगामी 25 मई को जनपद दौरे के दौरान सपा नेता अन्ने खां के यहां आ रहे मुख्यमंत्री से भेंट कर शिकायत का मन बना लिया है। वैसे बताते हैं कि इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से जांच के आदेश किये जा चुके हैं।
किस्सा न ज्यादा दूर का है न ज्यादा पुराना। कायमगंज के कंपिल क्षेत्र के ग्राम बिलसड़ी में वर्तमान प्रधान से पूर्व दस वर्षों तक केके चतुर्वेदी व उनकी पत्नी ने बतौर ग्राम प्रधान ‘काम’ किया। पंचायत चुनाव के दौरान कभी बसपा के नेता रहे केके चतुर्वेदी वर्तमान में स्वयं कायमगंज में ब्लाक प्रमुख हैं व उनकी पत्नी ममता चतुर्वेदी जिला पंचायत सदस्य हैं। परंतु चतुर्वेदी दंपती के दस सालो के ‘काम’ के बाद अब वर्तमान ग्राम प्रधान विरासत में मिले घोटालों को लेकर सर पकड़े बैठा है। हद तो यह है कि इंदिरा आवास जैसे केंद्र सरकार की योजना तक को नहीं छोड़ा गया। जमीन पर रहने वाले जरूरतमंदों को छोड़कर वर्षों-दशकों पूर्व ही इस दुनिया को छोड़कर जा चुके अनेक मृतकों के नाम पर इंदिरा आवास आबंटित कर दिये गये। मजे की बात है कि जो आवास कभी बने ही नहीं उन्हें जांच के दौरान न केवल जांच अधिकारियों ने ढूंड लिया, बल्कि घोटाले के आरोपियों को क्लीन चिट देने की भी तैयारी कर ली गयी है। बताते हैं कि एक इंदिरा आवास तो एक पक्के मकान की छत पर बने कमरे को दिखा कर सत्यापित करा दिया गया। हां, जांच टीम को थोड़ी कोशिश जरूर करनी पड़ी। पुलिस की मदद से शिकायतकर्ताओं को जांच टीम के पास फटकने नहीं दिया गया। अब इसे वर्तमान जांच अधिकारी एसडीएम भगवानदीन वर्मा की शुचिता ही कहिये कि उनहोंने थानाध्यक्ष कंपिल को तकलीफ दी। वर्ना शिकायतकर्ता चिल्ल्पों करते भी तो क्या, वह घर जा कर जो चाहे लिख सकते थे। परंतु उन्होंने एहतियात से काम लिया। क्योंकि उनके सामने पुरानी नजीर थी। पूर्व एसडीएम राकेश कुमार नयी और सीधी भर्ती के अधिकारी थे, व्यवस्था की ‘मुख्यधारा’ से जुड़ नहीं पाये थे। बेचारे ने रिपोर्ट थोड़ी ‘तथ्यात्मक’ दे दी, जिस पर प्रमुख जी के खिलाफ एफआईआर की नौबत आ गयी, सो उन बेचारों का ‘जनहित’ में स्थानांतरण कर दिया गया। बताते हैं कि विधायक जी ने भी डीएम साहब को सीधे फोन कर उनके तबादले की सिफारिश की थी।
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बहरहाल प्रधान की ओर से शुरू की गयी भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस मुहिम को अब अन्य ग्रामीण भी आगे आने लगे हैं। गांव के ही जयनरायन मिश्रा ने बाकायदा इंदिरा आवास, छात्र वृत्ति और खाद्यान्न घोटाले की परतें उखेड़कर रख दी हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी को तो शिकायती पत्र दिया ही गया है, अब आगामी 25 मई को कायमगंज के सपा नेता अन्ने खां के घर आ रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी एक शिकायती पत्र देने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार में सीधे दी गयी शिकायत पर जांच के आदेश हो चुके हैं।
इस इंदिरा आवास घोटाले में आइये देखें जमीन के खुदाओं का इनसाफ-(सूची के लिये यहां क्लिक करें)
बिलसड़ी के इंदिरा आवास लाभार्थियों की यह सूची जयनरायन मिश्रा की ओर से जिलाधिकारी को दिये गये शिकायती पत्र के साथ संलग्न की गयी है। श्री मिश्रा का कहना है कि इनमें से कुछ की मृत्यु से संबंधित प्रमाणत्र उनके पास हैं, जिन्हे वह किसी आपत्ति की दशा में प्रस्तुत कर सकते हैं।