स्मारक घोटाला: लोकायुक्त ने जुटा दिए सभी साक्ष्य, केवल विवेचना की जरुरत| गेंद अखिलेश के पाले में

Uncategorized

stop corruptionलखनऊ: स्मारक घोटाले पर कार्रवाई को लेकर निगाहें राज्य सरकार की ओर हैं। हालांकि, सरकार को लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट पर फैसला लेने के लिए तीन माह का समय है।

यूपी के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा अब तक मायावती सरकार में मंत्री रहे आधा दर्जन से राजनेताओं के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति, पद के दुरुपयोग की जांच की सिफारिशें की थी, जिस पर सरकार ने जांच का जिम्मा सतर्कता विभाग को सौंप रखा है। मगर, स्मारक घोटाले में लोकायुक्त ने सिफारिशें तकनीकी आवरण में है।

लोकायुक्त ने जांच सीबीआई को देने या फिर ऐसी एसआईटी (विशेष पुलिस बल) गठित करने की सिफारिश की है, जो सरकार के नियंत्रण से मुक्त हो। इसी बिन्दु पर निगाहें हैं, आखिर इस सिफारिश पर सरकार कैसा फैसला लेती है। इसी फैसले पर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबूसिंह कुशवाहा, इंजीनियरों, ठेकेदारों, पत्थरों की आपूर्ति करने वालों और लेखाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुतियों के आधार पर निर्णय होगा। लोकायुक्त ने यह भी कहा है कि अगर जो भी जांच दल हो वह साक्ष्य जुटाने के स्थान पर विवेचना करे क्योंकि साक्ष्य उपलब्ध करा दिये गये हैं।

गौरतलब है कि पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन के खिलाफ लोकायुक्त इससे पहले भी दो जांच रिपोर्ट भेज चुके हैं, जिसमें से एक में सतर्कता जांच हो रही है। दूसरी पर सरकार ने अभी फैसला नहीं लिया है। बाबूसिंह कुशवाहा के खिलाफ भी लोकायुक्त की जांच के आधार पर सतर्कता विभाग जांच कर रहा है। लेकिन उन जांचों में इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों, इंजीनियरों और ठेकेदारों की संलिप्तता नहीं पायी गई थी।

इन पूर्व मंत्रियों केखिलाफ लोकायुक्त की संस्तुति पर पहले ही चल रही जांच

बादशाह सिंह, अयोध्या पाल, अवधपाल, चन्द्रदेव राम यादव, बाबूसिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रंगनाथ मिश्र, रामवीर उपाध्याय।