FARRUKHABAD : प्रदेश सरकार की ओर से लागू बेरोजगारों को भत्ता दिये जाने की योजना को सेवा योजन कार्यालय में वाकायदा कारोबार बना लिया है। आज भी बैक डेट में पंजीकरण कर मात्र एक हजार रुपये में बेरोजगारी भत्ता चालू कर दिया जाता है। इसके लिए विभाग के बाबुओं ने वाकायदा अपने दलाल तैनात कर रखे हैं। इसी गड़बड़झाले को रोकने के लिए जब सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सेवायोजन कार्यालय से भत्ता पाने वाले लाभार्थियों की सूची मांगी गयी तो सूचना मांगने के ठीक तीस दिन बाद सेवा योजन अधिकारी ने इसे लाभार्थियों की व्यक्तिगत सूचना बताकर सूची देने से ही इंकार कर दिया।
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विदित है कि समाजवादी पार्टी में चुनाव के दौरान बेरोजगारों को भत्ता दिये जाने का चुनावी वादा किया था। अखिलेश यादव ने सरकार बनने के बाद जिसे पूरा भी कर दिया। परन्तु इस योजना को सेवायोजन विभाग ने अपने कारोबार के तौर पर स्थापित कर लिया। पहले तो पंजीकरण और फार्म जमा करने को लेकर जिस प्रकार की धांधलियां हुई। उनके विषय में मीडिया में समाचार छपते रहे परन्तु अब तो सेवा योजन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वाकायदा बैक डेट में पंजीकरण और बेरोजगारी भत्ता स्वीकृति का एक सुनियोजित रैकिट चला रखा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मात्र एक हजार रुपये की घूस पर कोई भी नया अभ्यर्थी अपना पंजीकरण कराकर भत्ता चालू करा सकता है। इसके लिए सेवा योजन कार्यालय के सामने स्थित फोटो स्टेट और चाय की दुकानों पर विभागीय कर्मचारियों व अधिकारियों के दलाल बैठे रहते हैं। जो नये अभ्यर्थी को कार्यालय में जाता देखकर रास्ते में ही भुनाने के लिए दौड़ पड़ती है।
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जेएनआई ने इसी गड़बड़झाले की थाह लेने के लिए सेवा योजन कार्यालय से बेरोजगारी भत्ता प्राप्त कर रहे लाभार्थियों की सूची सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मांगी थी। परन्तु सेवा योजन अधिकारी ने आवेदन के 30 दिन की अवधि समाप्त होने से ठीक पूर्व सूचना देने से लिखित रूप से इंकार कर दिया। मजे की बात है कि सेवायोजन अधिकारी ने अपने पत्र में लिखा है कि चूंकि ये सूचना लाभार्थियों की व्यक्तिगत सूचना है इसलिए सूचना देने से पूर्व भत्ता प्राप्त कर रहे कुल आठ हजार 761 लाभार्थियों से लिखित रूप से उनकी सहमति प्राप्त की जाएगी। सहमति प्राप्त करने के लिए पत्राचार हेतु आवश्यक धनराशि के लिए लखनऊ निदेशालय से अतिरिक्त बजट की मांग की जा रही है। विभाग से बजट प्राप्त होने पर बेरोजगारी भत्ता प्राप्त कर रहे 8761 लाभार्थियों को पत्र प्रेषित कर उनसे सहमति प्राप्त करने का प्रयास किया जायेगा। तत्पश्चात ही सूचना प्रदान की जा सकेगी। आज जहाँ सरकार इंदिरा आवास योजना, वजीफा और शुल्क प्रतिपूर्ति यहाँ तक कि पेंशन के लाभार्थियो की सूची सार्वजनिक कर इन्टरनेट पर डाल रही है वहीँ जिला सेवायोजन अधिकारी इस योजना को व्यक्तिगत बताकर जाने क्या छुपाना चाहते है|