किरकिरी के बाद अखिलेश सरकार अब वरुण गांधी के खिलाफ अपील की तैयारी में

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लखनऊ : पीलीभीत में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोपों में अदालत से बरी हो चुके भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव वरुण गांधी के लिए फिर मुश्किल खड़ी होगी। मीडिया में किरकिरी होने के बाद अब सरकार वरुण को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील की तैयारी में है। इसके लिए जिलाधिकारी पीलीभीत की ओर से पहल शुरू हो गयी है।
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीलीभीत में भड़काऊ भाषण देने के मामले में वरुण गांधी पर तीन मुकदमे दर्ज कराये गये थे। पीलीभीत के कोतवाली क्षेत्र में मुकदमा अपराध संख्या 238/2009, बरखेड़ा थाने में 255/2009 और कोतवाली में 266/2009 मुकदमा अपराध संख्या के तहत पुलिस प्रशासन की ओर से तीन मामले दर्ज कराये गये थे। जिन अफसरों ने वरुण के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया और गवाही दी, उन्हीं के पक्षद्रोही हो जाने की वजह से अदालत से तीनों मामलों में वरुण बरी हो गये। कोतवाली और बरखेड़ा में दर्ज मुकदमे में वरुण को सीजेएम कोर्ट से क्रमश: 27 फरवरी और पांच मार्च 2013 को राहत मिली, जबकि कोतवाली क्षेत्र में दर्ज एक मुकदमे में तीन मई को वरुण को बरी किये जाने का फैसला सेशन कोर्ट से आया।

विदित है कि केस में वादी थे खुद डीएम पीलीभीत महेंद्र अग्रवाल और गवाह थे पीलीभीत के तत्कालीन एडीएम जमीर आलम और 13 पुलिसकर्मी। लेकिन डीएम महेंद्र अग्रवाल और एडीएम जमीर आलम समेत सारे 14 गवाह अदालत में अपने पुराने बयान से ही मुकर गए। डीएम महेंद्र अग्रवाल जो उस वक्त चुनाव आयोग के अंतर्गत जिला निर्वाचन अधिकारी भी थे, इस बात से भी मुकर गए कि उन्होंने वरुण गांधी के खिलाफ कोई मुकदमा लिखवाया था। वहीं, एडीएम जमीर आलम ने, जिन्होंने वरुण गांधी के भाषण की रिपोर्ट तैयार की थी, अदालत में ये कह डाला कि उन्होंने न तो वरुण गांधी की कोई सभा देखी, सुनी, न ही उनसे इस बाबत कोई शिकायत की गई। इस मामले के दो अहम गवाह इंस्पेक्टर मनीराम राव और राजवीर सिंह भी अपने बयान से पलट गए। अदालत में दोनों ने कह दिया कि उन्होंने वरुण गांधी की ना तो कोई सभा देखी, न ही कोई आपत्तिजनक भाषण सुना। बाकी बचे गवाहों में सब-इंस्पेक्टर राजकुमार सरोज के अलावा कांस्टेबल और थाने के मुंशी ने भी बयान बदल डाले।
मंगलवार को राज्य सरकार के प्रवक्ता के तौर पर एनेक्सी के मीडिया सेंटर में आये पुलिस महानिरीक्षक एसटीएफ आशीष गुप्ता ने बताया कि 27 फरवरी के फैसले में अपीलीय अवधि 25 मई तक है, जबकि पांच मार्च के फैसले में दो जून 2013 तक अपील की जा सकती है। इन दोनों मामलों में जिलाधिकारी की ओर से सेशन कोर्ट में अपील की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। तीन मई को सेशन कोर्ट से वरुण को बरी किये जाने के मामले में राज्य सरकार उच्च न्यायालय में अपील करेगी। इस मामले में तीन जून तक अपील करने का मौका है। पक्षद्रोही हो चुके अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के संदर्भ में आशीष ने बताया कि अभी इस बात की छानबीन होनी बाकी है, किस अफसर की भूमिका क्या रही है।