FARRUKHABAD : आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकाओं की नियुक्ति की आस में आवेदन करने वाले लगभग डेढ़ हजार से अधिक अभ्यर्थियों को एक बार फिर मायूस होना पड़ सकता है। दर असल मामला नियुक्ति के सम्बंध में जारी केन्द्र व राज्य सरकारों के अलग अलग जारी विरोधाभासी शासनादेशों को लेकर उलझ गया है। नियुक्ति का अधिकार छिनने से आहत विभागीय सीडीपीओ ने न्यायालय की शरण ले ली है।
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विदित है कि केन्द्र सरकार की ओर से जारी शासनादेश के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकाओं की नियुक्ति का अधिकार ब्लाक स्तरीय परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) को है। परन्तु हाल ही में प्रदेश सरकार की ओर से जारी शासनादेश में नियुक्ति प्रक्रिया में संशोधन करते हुए अब आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकाओं की नियुक्ति का अधिकार एक जनपद स्तरीय समिति में निहित कर दिया गया है। जिसका सचिव जिला कार्यक्रम अधिकारी व अध्यक्ष मुख्य विकास अधिकारी को बना दिया गया है। जाहिर है कि अब आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकाओं की नियुक्ति में होने वाले खेल से ब्लाक स्तरीय सीडीपीओ का पत्ता साफ हो गया है। इससे आहत सीडीपीओ का संगठन उच्च न्यायालय की शरण में चला गया है। यद्यपि अभी तक न्यायालय की ओर से नियुक्ति प्रक्रिया पर कोई स्थगनादेश प्राप्त नहीं हुआ है परन्तु फिर भी विभाग में नियुक्तियों के अनिश्चितकाल के लिए लटक सकने की चर्चा है।
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उल्लेखनीय है कि जनपद में काफी समय से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायकाओं के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। रिक्त पदों के सापेक्ष इससे पूर्व भी आवेदन आमंत्रित किये गये थे, परन्तु कतिपय कारणों से नियुक्ति प्रक्रिया लटक गयी और बाद में अनियमितताओं की शिकायत के चलते तत्कालीन जिलाधिकारी के मुथुकुमार स्वामी ने नियुक्ति सम्बंधी विज्ञप्ति का प्रकाशन नये सिरे से कराया था। जिसके सापेक्ष लगभग 1600 आवेदन प्राप्त हो गये हैं। आवेदनों को सूचीबद्ध किये जाने का कार्य अभी चल रहा है।