FARRUKHABAD : “बस इस दुनियां में आपका सहारा चाहिए, मेरी मम्मी मुझे पढ़ने नहीं देती, मुझसे सारा दिन काम कराती है। मैं किसी से कह भी नहीं सकती हूं। अपनी परेशानी मैं आप को भगवान समझकर बताती हूं। आप ही मेरे सब कुछ गुरू जी आप अगर मेरे पास हो तो आपको मेरी परेशानी देखकर अवश्य दया आ जाती। अब आप चाहेा तो कुछ भी कर सकते हो। अगर आप यकीन नही ंतो आपको आप दिल चीर कर देख सकते कि मैं जब आपको याद करती हूं तो मुझे मेरे माता पिता जी की याद आ जाती है। आपकी शिष्य मंजू यादव का दिल से भरा हुआ नमस्ते!”
यह वाकया उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के इंटर मीडिएट की एक छात्रा का है। जिसने बड़े ही मार्मिक ढंग से अंकेक्षक को प्रभावित करने की कोशिश की है। यह कोई नया मामला नहीं है प्रति दिन यूपी बोर्ड की कापियों में इसी तरह के वाकये देखने को मिल रहे हैं। जीजीआईसी फतेहगढ़ में हो रहे मूल्यांकन के दौरान छात्रा मंजू यादव के प्रकरण के बाद ही अंग्रेजी विषय की कापी में100 का नोट रखा मिला। छात्र ने गुरुजी से अपने अंदाज में पास होने की गुहार लगाते हुए दक्षिणा भी भेजी।
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यूपी बोर्ड की परीक्षाओ और शिक्षा का अंदाजा इन कापियों से बखूबी लगाया जा सकता है। २० वर्ष पूर्व कक्षा पांच की होने वाली बोर्ड परीक्षाओ एवं आज की हाईस्कूल व इंटर मीडिएट की बोर्ड परीक्षाओ में कोई अंतर दिखायी नहीं दे रहा है। प्रदेश सरकार भले ही शिक्षा के उन्नयन की बात कर रही हो लेकिन हकीकत में अब ज्ञान की नहीं डिग्री की जरूरत की बजह से मूल शिक्षा से शिक्षक व परीक्षार्थी भटकता दिखायी दे रहा है।