इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन आयोग द्वारा बदायूं के विसौली की विधायक व पूर्व सांसद बाहुबली डीपी यादव की पत्नी उर्मिलेश यादव को तीन वर्ष के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य करार देने के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि याची नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का हनन किया जाना साबित नहीं कर सकी। आयोग ने चुनाव में अनुचित तरीके अपनाने के आरोप में याची विधायक को अयोग्य करार दिया।
20 अक्टूबर 2011 के आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति भारती सप्रू की खण्डपीठ ने उर्मिलेश यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग को किसी भी प्रत्याशी को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है। राज्यपाल भी प्रत्याशी को अयोग्य घोषित कर सकते हैं। याची अधिवक्ता रविकांत का कहना था कि आयोग द्वारा किसी प्रत्याशी को अयोग्य घोषित करने के प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया जाए किंतु कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि चुनाव आयोग को चुनाव खर्च का सही ब्योरा न देने के कारण प्रत्याशी को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है।
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चुनाव आयोग के अधिवक्ता वीएन सिंह का कहना था कि आयोग को प्रत्याशी को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है। मालूम हो कि याची ने विसौली विधानसभा चुनाव 2007 में लड़ा और उसने दो बड़े अखबारों में पेड न्यूज छपवाई। जिससे मतदाताओं को भ्रमित किया गया। चुनाव में प्रत्याशी पूर्व विधायक योगेंद्र कुमार ने इसकी आयोग से शिकायत की और कहा कि अखबारों में न्यूज विज्ञापन खर्च का ब्योरा याची ने अपने चुनाव खर्च में शामिल नहीं किया है। याची ने मतदाताओं को गुमराह किया।
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याची का कहना था कि उसने विज्ञापन नहीं कराया। लेकिन याची के स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुआ और उसे तीन वर्ष के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। कोर्ट ने याची के तर्को को बलहीन मानते हुए याचिका खारिज कर दी।