छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी ने सामूहिक नकल रोकने की अनोखी योजना बनाई है। इसके तहत सत्र 2013-14 के एग्जाम में स्टूडेंट्स को किताब-कुंजी ले जाने की इजाजत देने का प्रस्ताव है।
शर्त यह है कि ऐसे स्टूडेंट्स को कोई डिवीजन (प्रथम, द्वितीय या तृतीय श्रेणी) नहीं मिलेगी, सिर्फ पास या फेल की मार्कशीट जारी की जाएगी।
जो स्टूडेंट इस व्यवस्था से दूर रहकर पेपर देंगे उनकी डिवीजन आएगी। यह प्रस्ताव परीक्षा समिति, फिर एक्जीक्यूटिव काउंसिल में ले जाया जाएगा।
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रेग्युलर, प्राइवेट एग्जाम 2012-13 के दौरान ज्यादातर कॉलेजों में सामूहिक नकल कराए जाने की रिपोर्ट मिली है। इसको देखते हुए ही कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने शैक्षिक सत्र 2013-14 के एनुअल एग्जाम से दो तरह की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है।
कुलपति ने बताया कि भावनगर यूनिवर्सिटी गुजरात भी नकल रोकने का यह अनोखा तरीका अपना चुकी है। इसके तहत रेग्युलर, प्राइवेट के स्टूडेंट को किताब-कुंजी की मदद से एग्जाम देने का मौका मिलेगा। इसका लाभ लेने वाले हर स्टूडेंट से एक शपथपत्र भरवाया जाएगा, जिसमें लिखा होगा कि किताब-कुंजी की मदद से पेपर देंगे। इसके एवज में उन्हें डिवीजन न दी जाए। बस, फेल या पास का रिजल्ट जारी कर दिया जाए।
दूसरी व्यवस्था नकल विहीन एग्जाम की होगी। इसमें हर स्टूडेंट से एक शपथपत्र लिया जाएगा, जिसमें नकल की किसी तरह की गतिविधि में न शामिल होने का संकल्प रहेगा। इस एग्जाम में शामिल स्टूडेंट को प्रथम, द्वितीय या फिर तृतीय श्रेणी की डिवीजन दी जाएगी।
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दोनों तरह के एग्जाम और स्टूडेंट के लिए अलग-अलग सेंटर बनाने की व्यवस्था की गई है। एग्जाम के पेपर भी अलग-अलग दिए जाएंगे। कुलपति ने बताया कि नए पैटर्न के एग्जाम का खाका तैयार किया जा चुका है।
जल्द ही परीक्षा समिति, एक्जीक्यूटिव काउंसिल की अनुमति लेकर संबद्ध डिग्री कॉलेजों के प्रिंसिपल, टीचर और स्टूडेंट से फीडबैक लिया जाएगा। यदि सकारात्मक नतीजे समाने आए तो व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू कर दी जाएगी।