पिछले दिनों रूस के धुर पूर्वी प्रदेश — प्रिमोर्ये प्रदेश की राजधानी व्लदीवस्तोक में विख्यात सोवियत जासूस रिचर्ड ज़ोर्गे की स्मृति में अनेक समारोहों का आयोजन किया गया। रिचर्ड ज़ोर्गे का जन्म जर्मनी में हुआ थे। उनका जीवन सोवियत संघ में बीता। उन्होंने चीन में काम किया और जापान में उनका देहान्त हुआ। एक प्रसिद्ध जासूस के रूप में सारी दुनिया रिचर्ड ज़ोर्गे को जानती है। व्लदीवस्तोक के निवासियों ने यह तय किया है कि वे दुनिया को यह बताएँगे कि इस महान् जासूस का जीवन उनके शहर से पूरी तरह जुड़ा हुआ है।
[bannergarden id=”8″]
रिचर्ड ज़ोर्गे की जीवन-गाथा सचमुच बेहद दिलचस्प है। जर्मन नागरिक के रूप में उन्होंने प्रथम विश्व-युद्ध में भाग लिया था और जर्मनी की तरफ़ से रूस के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। फिर पिछली सदी के तीसरे दशक में वे सोवियत संघ में रहने के लिए आ गए क्योंकि वे साम्यवादी विचारधारा रखते थे। यहाँ इस जर्मन युवक ने खुफिया गतिविधियों का प्रशिक्षण पाया और फिर कई साल एक जासूस के रूप में काम करते हुए अमेरिका और चीन में बिताए। 1933 में सोवियत खुफ़िया विभाग ने उन्हें काम करने के लिए जापान भेज दिया। एक जर्मन पत्रकार के रूप में वहाँ काम करते हुए रिचर्ड ज़ोर्गे ने बहुत-सी खुफ़िया जानकारियाँ इकट्ठी कीं।
[bannergarden id=”11″]
फिर पिछली सदी के पाँचवे दशक के एकदम शुरू में रिचर्ड ज़ोर्गे ने इस तरह की जानकारियाँ मास्को भेजनी शुरू कीं कि जल्दी ही द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने के आसार हैं। एक अनुभवी जासूस के रूप में उन्हें यह अनुमान लगाने में कोई दिक़्क़त नहीं हुई कि जर्मनी और जापान सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध शुरू करने की योजनाएँ बना रहे हैं। ज़ोर्गे द्वारा दी गई वे सूचनाएँ सोवियत संघ के लिए बड़ी लाभप्रद साबित हुईं, जिनमें यह जानकारी दी गई थी कि जापान कब इस लड़ाई में शामिल होगा। यह जानकारी पाकर कि जापान 1942 से पहले सोवियत संघ पर हमला नहीं करेगा, सोवियत सेना ने अपना सारा ध्यान जर्मन सेना के ख़िलाफ़ कार्रवाइयाँ करने की तरफ़ केन्द्रित कर दिया।
लम्बे समय तक एक जासूस के रूप में रिचर्ड ज़ोर्गे का नाम गुप्त रखा गया। फिर 1964 में उन्हें मरणोपरांत सोवियत संघ के नायक की उपाधि से विभूषित किया गया और उनकी गतिविधियों व उपलब्धियों को सार्वजनिक कर दिया गया। सोवियत जनता ने उन्हें अपना पूरा-पूरा आदर और सम्मान देना शुरू कर दिया। उन के बारे में कई फिल्में बनाई गईं। विभिन्न शहरों में सड़कों के नाम और यहाँ तक कि सोवियत जलपोतों के नाम भी रिचर्ड ज़ोर्गे के नाम पर रखे गए। और आज उन्हें न केवल रूस का बल्कि सारी दुनिया का एक सबसे प्रमुख और सफल जासूस माना जाता है।
आधुनिक रूस में भी रिचर्ड ज़ोर्गे को भूला नहीं गया है। रिटायर्ड जासूसों के सार्वजनिक संगठन ने व्लदीवस्तोक में रिचर्ड ज़ोर्गे का स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा, क्योंकि वे अक्सर व्लदीवस्तोक आते रहते थे। क्षेत्रीय इतिहासकारों ने वह घर भी ढूँढ़ निकाला, जिसमें वह रहा करते थे। उन्होंने उनके सहायक उस रेडियो ऑपरेटर का भी पता लगा लिया, जो उनके द्वारा जापान से भेजे गए संदेश प्राप्त किया करता था। व्लदीवस्तोक नगर की 100 वीं जयन्ती के अवसर पर शहर के जिस चौराहे को शताब्दी-चौराहा नाम दिया गया था, अब उसी चौराहे पर विश्व-प्रसिद्ध जासूस रिचर्ड जोर्गे का स्मारक लगाया जाएगा। इस स्मारक की स्थापना लिए चंदा इकट्ठा किया जाने लगा है।