भले ही परंपरावादी समाज लिव इन रिलेशनशिप के पक्ष में ना हो लकिन, मध्यप्रदेश सरकार ने लिव इन रिलेशनशिप पर कानूनी मोहर लगाने की तैयारी कर रही है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार लिव इन रिलेशनशिप को ‘नैतिक’ आधार पर संरक्षण देने के लिए तंत्र बनाएगी। सरकार के इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश के युवा अपने पार्टनर के साथ लिव इन रिलेशनशिप में पूरे अधिकार के साथ रह सकेंगे।
विश्व में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, स्कॉटलैंड जैसे देशों में लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता मिली हुई है। लिव इन रिलेशनशिप की भारत में स्थिति की बात की जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी फैसले में सहमति आधारित लिव-इन रिलेशन को अपराध नहीं ठहराया है। भारत में हमेशा से लिव इन रिलेशनशिप को लेकर हमेशा बहस चलती रही है। हमारी सामाजिक व्यवस्था कभी भी इसके लिए अनुमति नहीं देते लेकिन आज के युवा इस तरह के रिलेशनशिप से गुरेज नहीं करते। नए जमाने के यंगस्टर्स बिना शादी किए साथ में रहना चाहते हैं, लेकिन रूढ़िवादी लोग लिव इन रिलेशनशिप को सही नहीं मानते हैं। लिव इन रिलेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि यदि दो वयस्क साथ रहना चाहते हैं, तो वो अपनी इच्छा से रह सकते है। इसमें कोई अपराध नहीं है। एक साथ रहना कोई अपराध नहीं है। जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार ने इसे ही आधार मानकर राज्य में लिव इन रिलेशन को मंजूरी देने का मन बना लिया है।