यूपी: 75 पैसे में कैसे बुझेगी शिक्षकों की प्यास?

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जहां एक बोतल साफ पानी की कीमत कम से कम 12 रुपये हो वहां यूपी के शिक्षकों को कुल 15 दिनों तक पानी पीने के लिए महज 75 पैसे का भत्ता आज भी मिलता है। इन 15 दिनों में उन्हें रोशनी की व्यवस्था के लिए 60 पैसे ही मिल रहे हैं।

1975 से चली आ रही यह व्यवस्था माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर होने वाली बोर्ड परीक्षाओं की कॉपी जांचने वाले शिक्षकों के साथ भद्दा मजाक है। लेकिन 25 अप्रैल से मूल्यांकन का काम शुरू करने जा रहे शिक्षकों ने इस व्यवस्था को चुनौती दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर यह बात उठाई और मूल्यांकन पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग भी रखी है।

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दरअसल परिषद की ओर से 15 दिन तक कॉपी जांचने वाले शिक्षकों को पीने के पानी के लिए प्रति शिक्षक 75 पैसे और रोशनी, पंखा आदि तमाम मूलभूत सुविधाओं आदि की व्यवस्था के लिए 60 पैसे दिए जाते हैं। यह मानक 1975 में तय किया गया था जो आज भी लागू है। शिक्षकों का तर्क है कि एक ओर सरकार यूपी बोर्ड के विद्यार्थियों को सीबीएसई के विद्यार्थी के बराबर लाना चाहती है| वहीं, सुविधा के नाम पर सीबीएसई की तुलना में यूपी बोर्ड की व्यवस्था बेहद लचर है।

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यह है यूपी बोर्ड और सीबीएसई का पारिश्रमिक
यूपी बोर्ड द्वारा जहां प्रति केन्द्र व्यवस्थापक को 500 रुपये और सीबीएसई की ओर से 3000 रुपये पारिश्रमिक दिया जा रहा है। यूपी बोर्ड जहां कक्ष निरीक्षक 65 रुपये, जबकि सीबीएसई 100 रुपये, यूपी बोर्ड द्वारा हाई स्कूल परीक्षा की कॉपी जांचने पर जहां प्रति कॉपी 4 रुपये दिया जाता है वहीं सीबीएसई द्वारा 15 रुपये दिया जा रहा है।

यूपी बोर्ड की ओर से टीए डीए दोनों मिलाकर स्थानीय 10 रुपये का भुगतान किया जाता है वहीं सीबीएसई की ओर से डीए 30 रुपये और टीए 150 रुपये का प्राविधान है। बाहर जाने पर टीए डीए यूपी बोर्ड द्वारा 16 रुपये दिया जाता है वहीं सीबीएसई की ओर से डीए 30 रुपये और टीए 150 रुपये का प्रावधान है।