FARRUKHABAD : जनपद में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है और विशेष पूजा-अर्चना का दौर जारी है। रामनवमी पर शुक्रवार की सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालु अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम राम का स्मरण कर रहे हैं, अखंड रामायण का पाठ जारी है। राम-सीता और लक्ष्मण की प्रतिमाओं का विशेष श्रंगार किया गया है। रामजन्मोत्सव दोपहर बारह बजे होगा, मगर धार्मिक अनुष्ठानों का दौर सुबह से ही शुरू हो गया है।
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हर मंदिर में रामजन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर है। कहीं हवन-कीर्तन हो रहा है तो कहीं कन्याओं को भोज कराया जा रहा है। चैत्र नवरात्र का अंतिम दिन होने के कारण देवी के उपासक अपनी आराध्य की पूजा में लगे है।मंदिरों में सुबह से ही जनसैलाब उमड़ा हुआ हैं। नगर के मठियादेवी मंदिर, गुरुगांवदेवी मंदिर, वैष्णों देवी माता मंदिर, बढ़पुर शीतलादेवी मंदिर में श्रद्धालुओ की भारी भीड़ रही। जगह जगह प्रसाद वितरण के साथ ही लोगों ने अपने घरों व मंदिरों में कन्या भोज का आयोजन कर पुण्य लाभ कमाया। पूरा शहर भक्ति भावना में डूबा दिखायी दिया।
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भारत पर्वों का देश है, रामनवमी ऐसा ही एक पर्व है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष नये विक्रम सवंत्सर का प्रारंभ होता है और उसके आठ दिन बाद ही चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को एक पर्व राम जन्मोत्सव का जिसे रामनवमी के नाम से जाना जाता है, समस्त देश में मनाया जाता है। इस देश की राम और कृष्ण दो ऐसी महिमाशाली विभूतियाँ रही हैं जिनका अमिट प्रभाव समूचे भारत के जनमानस पर सदियों से अनवरत चला आ रहा है। रामनवमी, भगवान राम की स्मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं, और इन्हें “मर्यादा पुरूषोतम” कहा जाता है। रामनवमी को राम के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्या में उनके जन्मोत्सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की काव्य तुलसी रामायण में राम की कहानी का वर्णन है।