लखनऊ: जनता को बेबकूफ समझती और बनाती राजनैतिक पार्टियाँ आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपने असली रूप में आने लगी है| विकास के मुद्दे को दरकिनार आम जनता की भावनाओ की मार्केटिंग शुरू हो चुकी है| मायावती ने कल लखनऊ में विभिन्न जात के सम्मेलन के लिए भाईचारा संगठनो के प्रमुखों को अपनी अपनी जात के सम्मेलन करने के निर्देश दिए है| मुलायम सिंह ने भी जात के हिसाब से वोट बटोरने के लिए एक दर्जन से अधिक जनता के पैसे से चलने बाली लाल बत्तियों वाली कारे और सरकारी स्टाफ विभिन्न जात के नेताओ को बाटी| ये सभी नेता सरकारी खर्चे पर पार्टी के लिए आपनी अपनी जात के सम्मेलन में लग चुके है| कांग्रेस में भी हाल कुछ ऐसा ही है| फर्रुखाबाद के कांग्रेसी सांसद सलमान खुर्शीद विकास की बात हवा में करते रहे क्योंकि वे सोचते है कि मुसलमान कहाँ जायेगा इस बात का मूल मन्त्र उनके हाथ है| भाजपा भी जात के आंकड़ो के साथ टिकेट के बटवारे का बही खाता बना रही है|
भारतीय राजनीति के पूरे खेल में जात पात की गंदगी फैला कर नेता जनता के बीच न केवल वैयमस्ता फैला देते है वरन निचले स्तर पर आपसी भाईचारे पर भी विद्रोह पैदा कर जाते है| ये एक कडुआ सच है| चुनाव आयोग के निर्देशों में जाति धर्म पर वोट मांगना भले ही अवैध हो मगर सबसे अकाट्य सत्य यही है कि अधिकांश चोर, उच्चक्का, भ्रष्ट और डरपोक नेता चुनाव में सिर्फ जाति के आधार पर चुनाव जीत रहा है| और चुनाव आयोग केवल आचार संहिता में सबूत तलाशता रह जाता है| जात के सम्मेलन में ये नेता खुद को फलां फलां जात का रहनुमा बताते है| मगर दूसरा पहलू ये भी है कि इस तरह से अलग अलग जात के लोग एक साथ होने की जगह बाट जाते है| क्योंकि अधिकांश नेताओ के पास देश और समाज के विकास का कोई माडल नहीं होता| ये विधायक और सांसद निधि बेचते है| जनता के पैसे को सत्ता में बैठ कर लूटते है| और यही नहीं खुद को जनता का सेवक समझने की जगह मालिक बनकर राज करते है|
जातियों के सम्मेलन में नेता जनता को समझाते है कि उन्होंने इतने टिकेट फलां फलां जाति के लोगो को दिए| इतने जीत कर आये और इतने मंत्री बना दिए| पूरे सम्मेलन में कहीं ये जिक्र नहीं होता कि कहाँ विकास की जरुरत है और कहाँ करेंगे| हाँ विकास की बात जरुर करते है मगर वो शब्द कुछ ऐसे होते है कि हमने फल जात का मंत्री बना फलां जात का विकास किया| यानि कुल मिलकर जात का विकास होना बतलाया जाता है| और जात की जनता भीड़ की शक्ल में तालियाँ पीट रही होती है| भारत में कमाल की जनता है और कमाल के नेता| मेरा मानना है कि जब तक दुनिया में मूर्ख है तब तक ही उन पर राज किया जा सकता है| अक्लमंदो पर राज करना सहज नहीं नही| और नेता जनता को अक्लमंद बनाना नहीं चाहती| ये भी एक कडुआ सच है| राजनैतिक दलों ने भारत के महापुरशो की तरह ही जातियां का भी बटवारा कर लिया है| यादव मुलायम का तो जाटव मायावती का| क्या कमाल का फैकटर है| अब सरकारे बदलने के बाद आम जनता भी यही कहती है| यू पी में राजनैतिक दलों की सरकार के नाम की जगह जात की सरकार की बात होने लगी है| जन सामान्य में बोल चाल की भासा भी यही हो चली है| यादवो की सरकार आ गयी, जाटवो की सरकार आ गयी और ठाकुरों ब्राह्मणों (भाजपा या कांग्रेस की होने पर ) की सरकार आ गयी| कहते है कि नेपथ्य में जाति की राजनीती का बीज कांग्रेस ने बोया था| पेड़ बड़ा हुआ तो सभी फल खाने लगे| भाई बेर का पेड़ पड़ोस की दीवार के सहारे जरुर लगाया था कि पडोसी को कांटे चुभे| मगर हवाओ पर जोर किसका है | आंधी में तो कांटे किधर भी जा सकते है|
सतीश चंद्र मिश्र के आवास पर ब्राह्मणों को चारा आज
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन गुरुवार को होगा। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के आवास पर आयोजित सम्मेलन में बसपा प्रमुख मायावती शामिल होंगी। सम्मेलन में पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए घोषित ब्राह्मण प्रत्याशियों के साथ ही ब्राह्मण भाईचारा कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों को प्रदेशभर से बुलाया गया है। सम्मलेन में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मण मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने की रणनीति तय की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को बसपा मुख्यालय में हुई पार्टी पदाधिकारियों व लोकसभा प्रत्याशियों की बैठक में मिश्र शामिल नहीं हो सके थे। बताया जाता है कि जरूरी काम से मिश्र दिल्ली में थे।