लखनऊ : सीओ हत्याकांड में कत्ल का मुख्य आरोपी का नाम सामने आ जाने के बाद भी राजा भैया के करीबियों पर मुसीबत अभी कम नहीं हुई है। सीबीआइ की नजर उन पर लगातार बनी है। सीबीआई सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीओ की हत्या के समय राजा का भाई अक्षय प्रताप सिंह गांव में मौजूद था। सवाल यह भी है कि इससे पूर्व गोली लगने के बाद घायल नन्हें को अस्पताल ले जाने के बजाय राजा की बेंती स्थित कोठी पर ले जाया गया था। प्रधान के परिजनों और आक्रोशित ग्रामीणों को भड़काने के मामले में ‘आरोपित करीबियों ‘ पर शिकंजा कभी भी कस सकता है। सीबीआई सूत्रों का यह भी मानना है कि नन्हें के परिजन जानबूझकर राजा से अपनी दुश्मनी दिखाने का प्रयास कर रहे थे।
गौरतलब है कि हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में 2 मार्च को प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या की जानकारी होने पर पुलिस कर्मी सीएचसी कुंडा पहुंचे तो उन्हे शव कब्जे में लेने नहीं दिया गया। वहां पहुंचे कुछ लोगों ने पुलिस कर्मियों को दौड़ा लिया। इसके बाद शव लेकर प्रधान के घर पहुंच गए। उधर प्रधान के भाई सुरेश की अगुवाई में आक्रोशित लोग गुड्डू सिंह के घर की ओर बढ़ रहे थे। इतने में लोगों ने यह कहते हुए पुलिस पर हमला बोल दिया कि पुलिस प्रधान का शव कब्जे में लेने आई है।
इस दौरान सुरेश ने बंदूक की बट से सीओ पर हमला बोल दिया। बचाव के दौरान छीनाझपटी में ट्रिगर दबने से सुरेश खुद अपनी बंदूक से चली गोली का शिकार हो गया। इतने में भगदड़ मच गई। किसी ने जाकर प्रधान के शव के पास खड़े राजा भैया के करीबी को पुलिस की गोली से सुरेश के मरने की बात बताई। इसके बाद ही भीड़ को पुलिस के खिलाफ उकसा दिया गया।
असलहे, लाठी डंडे से लैस लोगों ने पहले सीओ पर धावा बोला। खून से लथपथ सीओ कुएं के पास गिर पड़े। अर्जुन मां की मदद से सीओ को खड़ंजे की ओर ले जाने लगा, तभी पहुंचे प्रधान के बेटे बबलू ने रायफल से सीओ को गोली मार दी। इसके बाद घर के चारों ओर फायरिंग करते हुए अन्य पुलिस कर्मियों को तलाश करते रहे। संयोग ही रहा कि खेत में छिपे एसएसआइ विनय सिंह, गनर इमरान बच गए। यह सब बातें ग्रामीणों और चश्मदीदों से पूछताछ के दौरान सीबीआइ के सामने आ चुकी है। ऐसे में सीओ की हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सीबीआइ भड़काने वाले लोगों को शिकंजे में लेने की तैयारी कर रही है।