शिमला समझौते के समय पूर्व आई जी भारत सिंह के हाथ में थी हिमांचल की कमान

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FARRUKHABAD : उस मां ने शायद कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उसकी कोख से जन्म लेने वाला उसका पुत्र एक ऐसा अदभुत bharat singh file photoकाम कर जायेगा जो करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणाश्रोत होगा। पूर्व आई जी भारत सिंह का नाम वैसे तो हर व्यक्ति बखूबी जानता है कि वह एक सिपाही से आई जी के पद तक पहुंचे थे। लेकिन कब और कैसे भारत सिंह आई जी बने और किस जगह पर सबसे पहले उन्हें आई जी की कुर्सी दी गयी ऐसे ही कुछ खास बिन्दुओं को जेएनआई ने कलमबद्ध किया।

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9 फरवरी 1916 में जन्मे भारत सिंह यादव खेलकूद में कुछ विशेष ही रुचि रखते थे और खेलों में भी पूर्व आई जी हाकी में विशेष रूप से पारंगत थे। इसी खेल ने ही एक गांव के व्यक्ति को पहुंचा दिया बुलंदी पर। 1937 में डीएवी कालेज कानपुर से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगरा कालेज आगरा में बकालत पढ़ना शुरू किया। स्कूली दिनों में ही वह खेलकूद में रुचि रखने लगे। फतेहगढ़ के तत्कालीन ब्रिगेडियर करियप्पा ने उन्हें हाकी खेलते देखा तो उन्हें फौज में आने का न्यौता दे डाला। लेकिन श्री सिंह ने पहले बकालत करने की बात कही। ज्यादा कहने पर सन 1937 में अस्थाई आर्मी के बेड़े में सिपाही के पद पर शामिल हो गये। उसी दौरान दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो चुका था, तो अस्थाई आर्मी को स्थाई आर्मी में तब्दील कर दिया गया। जिसमें श्री सिंह भी स्थाई आर्मी के बेडे में शामिल हो गये। 1941 को पूर्व आई जी भारत सिंह को कमीशन मिल गया। सन 1947 को देश आजादी के समय श्री भारत ने आर्मी छोड़कर इण्डियन पुलिस सर्विस को ज्वाइन कर लिया। जिसके बाद उन्हें अपर पुलिस अधीक्षक अजमेर में पहली बार नियुक्ति मिली। 1952 में एसपी जालौन की कुर्सी पर नियुक्ति दी गयी। जिसके बाद कुछ समय सेवा करने के पश्चात एसपी हरदोई, एस पी फतेहपुर ने भी उन्होंने सेवा की। 1958 में श्री भारत सिंह को पीएसी की बटालियन के साथ जम्बू कश्मीर भेज दिया गया। पीएसी बटालियन में सेवा करने के उपरांत एसपी बाराबंकी के तौर पर उनकी नियुक्ति की गयी।
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सन 1966 में उन्हें एस एस पी लखनऊ के पद पर तैनात किया गया। जहां उन्होंने साढ़े तीन वर्ष सेवा की। इस दौरान तीन सरकारें बदलीं। आखिर एक दिन ऐसा समय भारत सिंह के जीवन में आया। जिसकी एक आम सिपाही कल्पना करता। सन १९६९ में उन्हें हिमांचल प्रदेश के आई जी के पद पर आसीन किया गया। उस समय हिमांचल प्रदेश पूर्ण राज्य नहीं था। १९७३ में हुए शिमला समझौते के समय भी हिमांचल प्रदेश की सुरक्षा की कमान भारत सिंह यादव के हाथ में थी। जो फर्रुखाबाद जिले के लिए आज भी गौरव का विषय है। हिमांचल में सेवाकाल के बाद ही श्री यादव सेवानिवृत्त हो गये। सेवाकाल के दौरान उन्हें राष्ट्रपति पदक से भी नवाजा गया।

घर आने के बाद भी उनके अंदर जज्बा व जुनून की कोई कमी नहीं हुई। भारत सिंह यादव नगर पंचायत मोहम्मदाबाद के सबसे पहले अध्यक्ष चुने गये। आज भी उनका समाजसेवी व देश सेवा का भाव लोगों में प्रेरणा का संचार कर रहा है।