बरखास्तगी के बाद लेखपाल 23 साल तक लूटता रहा सरकारी खजाना

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corruptionइलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बर्खास्त लेखपाल को बिना सेवा बहाली के 23 वर्षो तक कार्यरत रखने और सेवानिवृत्ति के बाद बहाली को फर्जी बताने के मामले को गंभीरता से लिया है। अदालत ने इस मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी है। सीबीसीआईडी तीन माह में जांच पूरी करके एक अक्टूबर तक रिपोर्ट देगी।

कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार स्टेटस सिम्बल बन गया है और नौकरशाही एक-दूसरे को बचाने में लगी है। सेवानिवृत्ति होने के कारण दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने याची को भविष्यनिधि का भुगतान दो माह के भीतर करने तथा जांच के बाद याची को पेंशन के लिए उचित फोरम में कार्यवाही करने की छूट दी है। कोर्ट ने कहा है कि जांच में दोषी अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही की जाए तथा उन्हें दंडित किया जाए।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने आगरा के सुरेश चंद्र शर्मा की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची 16 नवम्बर 75 में लेखपाल नियुक्त हुआ और नौ वर्ष बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया किंतु बर्खास्तगी के एक माह के भीतर ही उसे बहाल कर लिया गया। सेवानिवृत्ति के बाद जिलाधिकारी ने जांच कराई तो पाया कि बहाली आदेश फर्जी था जिससे इसे पेंशन देने से इन्कार कर दिया गया। जिलाधिकारी की जांच में बिना बहाली के याची को 23 वर्ष तक सेवा में बनाए रखने व वेतन देने के लिए सात अधिकारियों को दोषी पाया गया था। इनमें तीन की मौत हो गई थी व तीन सेवानिवृत्त हो चुके थे। केवल याची के विरुद्ध कार्यवाही की गई। कोर्ट ने सीबीसीआइडी को पूरे प्रकरण की जांच का आदेश दिया है।

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