सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुटखा लॉबी की याचिकाओं को रद्द करने के बाद तत्काल प्रदेश में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कार्रवाई को हरी झंडी दे दी।
खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के प्रमुख सचिव प्रवीर कुमार ने कहा कि एफडीए केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नजर रखे हुए था। अब सोमवार की शाम से ही प्रदेश में गुटखा बनाना और बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
उन्होंने कहा कि एफडीए को किसी नए आदेश को जारी करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने चार अक्टूबर, 2012 को जो नोटिफिकेशन जारी किया था, वह पूरी तरह लागू किया जाएगा।
इसके तहत जहां कहीं भी गुटखा बेचने या बनाने की शिकायत मिलेगी, प्रवर्तन दल वहां छापामार कार्रवाई करेगा। साथ ही सामग्री को सील करने के साथ विक्रेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा।
खाद्य एवं औषधि विभाग के इस एक्ट का उल्लंघन करने पर जुर्माने और सजा का भी प्राविधान है। एक्ट के अनुसार उल्लंघन करने पर दो साल की सजा और दो लाख तक जुर्माना वसूला जा सकता है।
वहीं जनपद फर्रुखाबाद की यदि बात करें तो यहां पर गुटखा विक्रेताओ पर रोक का कोई असर दिखायी नहीं दे रहा है। बाजारों व कस्बों में खुलेआम धड़ल्ले से गुटखा की विक्री जारी है।
कब क्या हुआ
:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 18 सितंबर को इंडियन डेंटल एसोसिएशन की जनहित याचिका पर सरकार को गुटखे पर प्रतिबंध लगाने के लिए चौदह दिन का समय दिया था।
:- सरकार ने हाईकोर्ट से इसके लिए छह महीने का वक्त मांगते हुए इसे एक अप्रैल से लागू करने का समय तय कर दिया था। सरकार का तर्क था कि अचानक प्रतिबंध लगाने से गुटखा उद्योग से जुड़े लाखों कर्मचारियों, मजदूरों और उद्यमियों की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा। छह महीने में वह कुछ और काम धंधा तलाश सकेंगे।
:- इसके बाद एफडीए ने चार अक्टूबर, 2012 को गुटखे पर प्रतिबंध लगाने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था।
:- गुटखा लॉबी की ओर से तीन केस सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए थे। इनमें प्रभु आस्था इंटरप्राइजेज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, मेसर्स फूट इंटरप्राइजेज बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और विष्णु इंटरप्राइजेज बनाम यूनियन आफ इंडिया के तीन याचिकाएं दाखिल की गई थीं।
:- इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में एक अप्रैल को सुनवाई होनी थी। इस वजह से सरकार ने नोटिफिकेशन को यथावत बनाए रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करते हुए एक अप्रैल को कार्रवाई नहीं शुरू की।
:- सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाएं खारिज कर दीं। अब यूपी में गुटखे पर रोक प्रभावी हो गई है।
क्या है कानून में
राज्य सरकार ने जिस खाद्य सुरक्षा एवं मानक (विक्रय प्रतिषेध और निर्बंधन) विनियम, 2011 का सहारा लेकर गुटखे पर एक अप्रैल से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। उसकेविनियम 2.3.4 के अनुसार किसी भी खाद्य पदार्थ में तंबाकू या निकोटीन का मिश्रण करना गैरकानूनी है।
वहीं एफडीए केवल सादे पान मसाले का लाइसेंस इस एक्ट के तहत देता है। सादे पान मसाले को खाद्य पदार्थ का दर्जा दिया जाता है। गुटखे का कोई भी लाइसेंस इस एक्ट केतहत नहीं दिया जाता। इसलिए इसमें तंबाकू या निकोटीन मिलाकर गुटखा बनाना गैरकानूनी होगा।
इस एक्ट का उल्लंघन करने पर जुर्माने और सजा का भी प्राविधान है। एक्ट के अनुसार उल्लंघन करने पर दो साल की सजा और दो लाख तक जुर्माना वसूला जा सकता है। दरअसल खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) केवल सादे पान मसाले का लाइसेंस इस एक्ट के तहत देता है। सादे पान मसाले को खाद्य पदार्थ का दर्जा दिया जाता है। गुटखे का कोई भी लाइसेंस इस एक्ट केतहत नहीं दिया जाता। इसलिए इसमें तंबाकू या निकोटीन मिलाकर गुटखा बनाना गैरकानूनी होगा।
ऐसे लगेगी रोक
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने गुटखे की बिक्री पर रोक लगाने केलिए राज्य और जिला स्तर पर समितियों का गठन कर लिया है। राज्य स्तर पर इसकी निगरानी खाद्य सुरक्षा आयुक्त और जिला स्तर पर जिलाधिकारी करेंगे। राज्य स्तर पर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के डीआईजी स्तर केअधिकारी और उनका प्रवर्तन दस्ता छापामार कार्रवाई कर सकते हैं। वहीं जिला स्तर पर जिलाधिकारी, जिले केएसपी या डीआईजी के साथ मिलकर खाद्य निरीक्षक और प्रवर्तन दस्ता कार्रवाई करेंगे।