शमसाबाद (फर्रुखाबाद) सुगन्ध गंगवार की रिपोर्ट: परिषदीय विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था बुरी तरह चरमारा चुकी है। बच्चों को स्कूल में दोपहर का भोजन दिये जाने की योजना के अंतर्गत न तो राशन मिल रहा है, न कनवर्जन कास्ट उपलब्ध है। खाना बनाने वाले रसोइयों को छह माह से अधिक से मानदेय तक नहीं मिलका है। व्यवस्था बनाये रखने के चक्कर में कई शिक्षक हजारों के कर्जदार बन चुके हैं। उधर रसोइयों को भी महीनों से मानदेय न मिलने के कारण घर परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है। उल्टे अब तो मानदेय भुगतान के लिये गरीब रसोइयों से धनउगाही की मांग की भी शिकायतें मिलने लगी हैं।
क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में स्थित परिषदीय विद्यालयों में ग्राम प्रधानों व शिक्षकों के कंधों पर विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन बनवाने की व्यवस्था का भार प्रशासन द्वारा सौंप दिया गया है। मगर अफसोस इस बात का है कि मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई कई महीने गुजर जाने के बावजूद भी अभी तक धनराशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है। जिसको लेकर ग्राम प्रधानों तथा शिक्षकों में मायूसी के भाव देखे जा रहे हैं। शिक्षक और ग्राम प्रधान सरकार की इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए अब तक वे व्यवसाइयों के हजारों के कर्जदार बन चुके हैं। इसके बावजूद भी प्रशासन यह धनराशि कब उपलब्ध करायेगा यह देखते देखते आंखें पथराने लगीं हैं।
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नाम न छापने की शर्त पर कुछ परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों तथा ग्राम प्रधानों ने बताया कि 6 महीने गुजर जाने के बावजूद भी मध्यान्ह भोजन को बनवाने हेतु धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गयी है। फिर भी सरकार की इस व्यवस्था को जारी रखने के लिए क्षेत्रीय व्यवसाइयों के यहां से खाद्यान्न लेते आ रहे हैं। जिसके कारण महीनों गुजर जाने के बाद अब स्थिति यह आ गयी है कि वे वास्तविक हजारों के कर्जदार हो गये हैं और व्यवसाइयों ने भी खाद्यान्न देना बंद कर दिया है। इस सब व्यवस्था के चलते परिषदीय विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन के निर्माण को लेकर फिर संकट के बादल गहराने लगे हैं। उधर शिक्षकों तथा ग्राम प्रधानों ने सरकार की इस व्यवस्था पर रोष जताते हुए कहा कि अगर जल्द व्यवस्था न की गयी तो मध्यान्ह भोजन व्यवस्था ठप हो जायेगी।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार रसोइयों के मानदेय का पैसा निकल चुका है। सूची को बैंको को भेजा जा चुका है। शीघ्र ही पैसा रसोइयों के खातों में पहुंच जायेगा। दूसरी ओर राशन व कनवर्जन कास्ट के विषय में बताया गया है कि ग्राम प्रधानों द्वारा उपलब्ध कराये गये राशन व कनवर्जन कास्ट का व्यय व्योरा प्रस्तुत न किये जाने के कारण रोक लगायी गयी थी। जिन ग्राम प्रधानों ने व्योरा प्रस्तुत कर दिया है उनका राशन व पैसा अवमुक्त कर दिया गया है।