उत्तर प्रदेश सरकार ने गुटखा और तंबाकू युक्त पान मसाले से होने वाली बीमारियों के मद्देनजर एक अप्रैल 2013 से इनके निर्माण, भंडारण और बिक्री पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। सरकार का यह कदम बहुत से लोगों को मुंह के कैंसर से बचाएगा। आजकल पान मसाले की लत 10 से 18 साल के स्कूली बच्चे तक को लग गई है, जो चिंता की बात है। 1 अप्रैल से गुटखा तम्बाकू पर प्रतिबंध लगने की खबर पर परचून दुकानदारों से लेकर बड़े दुकानदार भी स्टाक करने में जुट गये हैं।
अक्सर देखा जाता है कि जिस उत्पाद पर प्रतिबंध लगता है, उसकी बिक्री चोरी-छिपे होती है और उस वस्तु की जमकर कालाबाजारी होने लगती है। अब जरूरत इस बात की है कि सरकार इसकी कालाबाजारी न होने दें, जगह-जगह औचक छापेमारी करके गुटखा व तंबाकूयुक्त पान मसाले को जब्त करें और कालाबाजारियों को सलाखों के पीछे भेजे।
सरकार अपने इस निर्णय पर अडिग दिखाई दे रही है और उसने यह साफ कर दिया है कि इसकी बिक्री पर सख्ती से अंकुश लगाया जाएगा। इसका एक और पहलू भी है, गुटखा एवं तंबाकू युक्त पान मसाला छोटे-बड़े व अमीर-गरीब सभी में तेजी से घुसपैठ बना चुका है और यह बड़े पैमाने पर बिकता है। इससे हजारों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। इससे कैसे निपटा जाएगा? इसके कारोबारियों को उनकी आजीविका का विकल्प सुझाना होगा और साथ ही इसके दुष्परिणामों को भी लोगों को बताना होगा। इसमें स्वास्थ्य विभाग की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। डाक्टरों को गुटके के शिकार लोगों को उसे छोड़ने में सहायता करनी होगी।
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तंबाकू उत्पादों में 10.5 प्रतिशत व्यस्क गुटके का इस्तेमाल करते हैं जबकि 13.5 प्रतिशत व्यस्क खैनी का प्रयोग करते हैं। गुटके पर वैट की दर यूपी में 13.5 प्रतिशत है। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण बोर्ड के स्टेट हेड सतीश त्रिपाठी के अनुसार तंबाकू सेवन से प्रतिदिन 2,200 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। देश में कैंसर से मरने वाले 100 में से 40 मरीज तंबाकू सेवन करने से मरते हैं।
सरकार द्वारा 1 अप्रैल से गुटखा व तम्बाकू पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से ही परचून दुकानदारों के अलावा बड़े दुकानदार भी स्टाक करने में जुट गये हैं। उनका मानना है कि सरकार यदि कुछ दिन प्रतिबंध लगाने में कामयाब रहती है तो उनका धंधा फिर भी कुछ दिनों तक हराभरा बना रहेगा।