भारत की आजादी को लेकर पिछले 65 साल से मनाया जा रहा जश्न क्या एक भ्रम है? क्या हमें 15 अगस्त 1947 को पूर्ण आजादी मिल गयी थी? इंडिया को आजादी बहादुरी से मिली थी या चालाकी से? आजादी लेने में किसने कितने घुटने टेके? महात्मा गाँधी 15 अगस्त 1947 की रात जब सत्ता का हस्तांतरण हुआ दिल्ली में क्यूँ नहीं थे? भारत की आजादी का बिल लन्दन की संसद में पास क्यूँ हुआ था? सत्ता के हस्तांतरण में क्या शर्ते थी? भारत को सत्ता के हस्तांतरण के बाद भी लगभग एक साल तक यूनियन जैक (अंग्रेजो का झंडा) क्यूँ फहराता रहा? कितने आजाद हैं हम? कब तक आजाद हैं हम? इन जैसे हजारो अनसुलझे इतिहास के सवालों को तलाशने का जेएनआई ने वादा किया था| अब हम वो वादा पूरा करने जा रहे है| हमारी शोध टीम लगातार ब्रिटिश लाइब्ररी से लेकर इंग्लैंड के हाउस ऑफ़ कॉमन्स तक से लगातार दस्ताबेज जुटा रही है| इसी कड़ी की शुरुआत है इतिहास के झरोके से भाग १
इंडिया 26 जनवरी 1950 को आजाद हुआ था|
दरअसल किसी भी चीज के कई मायने हो सकते है| एक जश्न जो 16 अगस्त 1947 को गवर्नर हाउस दिल्ली में मनाया गया था उसे नाम दिया गया था आजादी का जश्न| मगर वो आजादी कितनी थी इस बात की भनक आम नागरिक को ५० साल तक छुपाने का एक समझौता भी हुआ था| यही था सत्ता का हस्तांतरण का समझौता| जो 14/15 अगस्त की आधीरात संसद के सेंट्रल हाल में दस्खत किया गया ब्रिटिश और ब्रिटिश इंडिया के मध्य| ठीक समझे आप| तब हिंदुस्तान जिसे आप भारत कहते है ब्रिटिश इंडिया था| उस रात समझौते में लिखा गया कि ब्रिटिश इंडिया अब डोमिनियन स्टेट इंडिया होगा| डोमिनियन स्टेट का मतलब किसी बड़े राज्य के अधीन एक छोटा राज्य| जेएनआई की उस बात को प्रमाणिकता मिलती है कॉमनवेल्थ राष्ट्र की उस वेबसाइट से जिसका अध्यक्ष हमेशा हमेशा के लिए ब्रिटेन का राजा/रानी ही होगी | इंडिया यानि भारत इस कॉमन वेल्थ राष्ट्र समूह का सदस्य है| 1947 में जब अंग्रेजो ने सत्ता छोड़ी तो इंडिया को ब्रिटिश कॉमन वेल्थ राष्ट्र का सदस्य बनना पड़ा और उस वक़्त इंडिया एक पूर्ण स्वतंत्र राष्ट्र नहीं डोमिनियन स्टेट था| नीचे चित्र में देखिये उस वेबसाइट लिखी इबारत-
इसके बाद वर्ष 1949 में ब्रिटिश कॉमनवेल्थ राष्ट्र देशो की लन्दन में मीट हुई और ब्रिटिश कॉमनवेल्थ राष्ट्र में इंडिया ने अपना दावा एक पूर्ण सार्वभौमिक स्वतंत्र राष्ट्र इंडिया के रूप ठोका| अंग्रेज भारत छोड़ चुके थे| लिहाजा बहुत कुछ करने की हैसियत में नहीं थे| अंग्रेजो का बहुत कुछ (व्यापारिक घराने) इंडिया में अभी था| मगर राज अब भारतियों के हाथो में आ चुका था लिहाजा ब्रिटेन ने भी इसी में भलाई समझी कि इंडिया की बात कबूल कर ली जाए| भारत के इस रुख के बाद इस समूह के अन्य देश भी भड़कने लगे थे| अब ब्रिटेन के आगे समूह को बचाए रखने का संकट खड़ा हो सकता था लिहाजा उसी मीटिंग में ब्रिटिश कॉमनवेल्थ राष्ट्र के नाम से ब्रिटिश शब्द हटा दिया गया| एक नए रूप में कॉमनवेल्थ राष्ट्र समूह का गठन हुआ| आपत्ति के बाद भारत एक सार्वभौमिक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में इसमें शामिल हुआ| मगर इसका मुखिया हमेशा ब्रिटेन का राजा /रानी ही रहेगा| इस तरह से जब 26 जनवरी 1950 को भारत का सविधान लागू हुआ उसी दिन हमें पूर्ण आजादी मिली ब्रितानी हकुमत से| क्योंकि 1947 से 1950 तक हम ब्रिटेन राज्य के अधीन एक स्वतंत्र राज्य ही थे| देखिये दूसरे चित्र के दस्ताबेज-
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नोट- यह लेख जेएनआई का मूल कॉपीराईट लेख है| कोई भी इसे कॉपी कर सकता है इस शर्त के साथ कि अन्य जगहों पर प्रकाशन के साथ साभार JNINEWS अवश्य लिखा जाए|