शिमला। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सहारा समूह की कंपनियों को निवेशकों से पैसे जमा कराने पर प्रतिबंध लगाते हुए प्रवर्तन निदेशालय को कंपनी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश आर बी मिश्र और न्यायमूर्ति वी के शर्मा की खंडपीठ ने अर्जियों पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और उनकी कंपनियों के विरुद्ध मामला बनता है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की है।
खंडपीठ ने कहा कि न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए अंतरिम उपाय के रूप में सहारा पर भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से अनुमति लिए बगैर किसी बैंक खाते से लेनदेन करने पर रोक लागाई जाती है।
खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को सहारा के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ी करने संबंधी आरोपों पर जवाब/स्थिति बताने का निर्देश दिया। सहारा समूह को अपनी किसी भी योजना के नाम पर आम लोगों, खास तौर से राज्य के लोगों से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पैसे जमा कराने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
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खंडपीठ ने आगे कहा कि यह जानकारी मिली है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह की दो कंपनियों, सहारा इंडिया रीयल इस्टेट कार्पोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड को सेबी के माध्यम से निवेशकों को 24000 करोड़ रुपये लौटाने का निर्देश दिया है।
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बाजार नियामक सेबी ने 15 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दे कर राय और उनके समूह के दो अन्य निदेशकों की गिरफ्तारी और दंड की मांग की। सेबी ने कहा है कि उसके माध्यम से निवेशकों को 24000 करोड़ रुपये लौटाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को सहारा पूरा नहीं कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई होली के बाद होगी।