कोई बताए कि मुलायम सिंह को क्या हो गया है। उम्र उन पर हावी हो गई है, उनकी इंद्रियाँ शिथिल पड़ गई हैं या सरकार द्वारा लगाई गई सीबीआई से वे परेशान हैं। अखिलेश सरकार की नाकामी से निराश हैं या फिर प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा के चलते उनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है। एक दिन सरकार गिराने की बात करते हैं और अगले दिन चलाने की। उनको सत्यवादी बता देते हैं जिनका पूरा कारोबार ही असत्य पर टिका हुआ है।
बेटा अलग परेशान है। पिताश्री ने पुत्र को स्वयं सत्ता में बैठाया और अब उसे ही नकारा साबित करने पर आमादा हैं। सब जानते हैं कि अखिलेश मुलायम की खड़ाऊँ रखकर शासन चला रहे हैं और चला क्या रहे हैं उनसे चलावाया जा रहा है। उनके सत्ता-रथ के कई-कई सारथी हैं। सब अपनी-अपनी दिशा में ले जाना चाहते हैं। नतीजा ये हुआ है कि रथ वहीं खड़ा हो गया है। मीडिया के लिए तो वरदान हैं मसाजवादी मुलायम। मध्यावधि चुनाव का खेल खेलने के लिए अवसर जुटाते रहते हैं।
मुलायम का मतलब चाहे जो हो, चैनलों की चटपटी चर्चा सरकार के पतन से तीसरे मोर्चे के गठन तक हिलोरें मारने लगती है। ऐसे में अमर सिंह की कमी खलती है। वे होते तो जाने कितनी बातें होतीं, कितनी परोक्ष और सीधी चेतावनियाँ होतीं। फिल्मी डायलॉग होते और जाने कितनी भेंट-मुलाकात वे अब तक कर चुके होते। वे होते मसाजवाद के नए नए रूप देखने को मिलते। भारतीय राजनीति में इसे मनमोहन सिंह के लिए क्या माने- दुर्भाग्य या सौभाग्य? वे 2014 तक देश के सिर पर तो सवार रहेंगे ही।
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राहुल कठेरिया खुद को डीएम का रिश्तेदार बताता है तो इसमें सपाइओ को क्या परेशानी?
पिछले एक माह से एक नया नाम बड़ा चर्चा में है| नाम है राहुल कठेरिया| बसपा से ज्यादा सपा वालों को परेशानी हो रही है| कई मीडिया कर्मिओं को फोन करके बताया जाता है कि भाई ये राहुल नाम के जीव ने अपनी बड़ी धमक डीएम साहब के आसपास बना रखी है| मगर अपने को तो कभी दिखा नहीं| किसी को घर पता और फोन नंबर मालूम हो तो हमें जरुर बताये|
आखिर ये राहुल कठेरिया क्या बला है| कोई ठेकेदार बता रहा है तो कोई दलाल| कोई भी हो मगर साइकिल वाली सरकार में राहुल कठेरिया शायद बेतरतीब और हुल्लड़वादी समाजवादी कार्यकर्ताओ हजम नहीं हो रहा है| अब उगरपुर में विद्यालय में ओम प्रकाश कठेरिया के खिलाफ डीआईओएस द्वारा गैर जमानती धाराओ में मामला दर्ज करने के बाद भी गिरफ्तारी नहीं हुई तो भी हमारे कुछ साइकिल वाले सूत्र राहुल कठेरिया का नाम ले बैठे| बोले साहब के दफ्तर में सीधी पकड़ है| राहुल ने पैरवी कर दी है| नक़ल माफिया कठेरिया गिरफ्तार नहीं होंगे| अव्वल उल्टा एक मुकदमा जिला विद्यालय निरीक्षक के खिलाफ लिख जाए तो कोई आश्चर्य मत मानिए? हम भी चकित है| बेटा बैंक मैनेजर के बेटे के क़त्ल के मुकदमे में जमानत पर है| बाप नक़ल कराने पर रोक लगती देख जिला स्तर के अफसर पर हमला कर दे और उस पर कोई कार्यवाही न हो इसे क्या संज्ञा दे| हिंदुस्तान की राजनीति जिस मूल मन्त्र के सहारे ही टिकी थी अब उसी का अनुसरण प्रशासनिक व्यवस्था में भी होने लगे तो इसमें सपाइओ को बुरा क्यूँ लग रहा है?
हालाँकि पिछले चौबीस घंटे में राहुल कठेरिया का नाम DUDA के PO जेड ए खान के साथ जुड़ रहा है| कोई कह रहा है कि खान साहब को राहुल कठेरिया यह कहकर बुला लाया कि उसे डीएम साहब ने बुलाया है| कोई DUDA में ठेके का मामला कह रहा था| कोई कह रहा है कि जेड साहब को बरगदिया घाट पर किसी मकान में ले जाया गया| अरे ऐसा हो रहा है तो कौन सी खास बात है| सीएम अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण का मंच भूल गए| शुरू भला तो अंत भला| मगर सपाइओ को होली की गुजिया खाने से पहले ही पेचिस क्यूँ हो रही है? जेड ए खान साहब तो कुछ भी नहीं कहते| उनके मुताबिक सब बेकार की बाते है| अब मुद्दई चुप है मगर गवाह चिल्ला कर क्या लेगा| और रही बात राजनीति और प्रशासन की साख की तो उसमे बचा ही क्या है| खुले मंच पर आमने सामने बैठ एक भी सवाल का देने की हैसियत में नहीं रह गए है दोनों| चुपचाप शांति पूर्वक होली मनाओ| जहाँ काम धाम की जुगाड़ हो वहाँ जरुर होली मिलने जाना और आशीर्वाद लेना| सपा बसपा कुछ नहीं होता| इसमें भेद नहीं करना चाहिए| सब में भाईचारा बना रहे|
-पंकज दीक्षित
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