वाहवाही लूटने को दिखा दी लियाकत की फर्जी गिरफ्तारी: IB का दावा, दिल्‍ली पुलिस बैकफुट पर

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नई दिल्ली: हिजबुल मुजाहिदीन के कथित आतंकवादी लियाकत शाह की गिरफ्तारी पर आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) के अधिकारी दिल्ली पुलिस के अफसरों से बेहद नाराज हैं। सरकारी सूत्रों का दावा है कि जामा मस्जिद इलाके के गेस्ट हाउस से मिले हथियार और विस्फोटकों का लियाकत से कोई लेना-देना नहीं है। गेस्ट हाउस में गोला-बारूद लाए जाने के बारे में पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी, जिसे लियाकत की निशानदेही पर बरामदगी दर्शा दिया गया।

Lyakat 2इस मामले के तूल पकड़ने के बाद अब कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर केस की तरह इसमें भी दिल्ली पुलिस की जबर्दस्त किरकिरी की आशंका बन गई है। आईबी के अफसरों के मुताबिक, स्पेशल सेल की इस कारस्तानी के बारे में गृह मंत्री शिंदे को रिपोर्ट भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस फर्जी केस और गिरफ्तारी के कारण हथियार डालकर मुख्य धारा में लौटने की इच्छा रखने वाले पूर्व कश्मीरी आतंकवादियों में गलत मेसेज जाएगा। पुलिस सूत्रों ने भी माना कि लियाकत केस में स्पेशल सेल बैकफुट पर आ चुकी है।

आईबी के सीनियर अफसरों ने एनबीटी से बातचीत में दावा किया कि हमने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को जानकारी दी थी कि लियाकत सरेंडर करने नेपाल से दिल्ली आकर कश्मीर जाएगा। स्पेशल सेल ने फुर्ती दिखाते हुए 19 मार्च को केस दर्ज किया और अगले दिन ही गोरखपुर पहुंचकर रेलवे स्टेशन से लियाकत को गिरफ्तार कर लिया। उस वक्त लियाकत के साथ उसके परिवार के लोग भी थे।  गोरखपुर जाने और लियाकत को पकड़ने के बारे में दिल्ली पुलिस ने हमें पूरी तरह अंधेरे में रखा। हमें लियाकत की गिरफ्तारी की खबर 20 मार्च की रात को मिली। दिल्ली में फिदायीन हमले की साजिश से लियाकत का कोई लेना-देना नहीं है। उसके आने और सरेंडर करने के प्लान के बारे में न सिर्फ जम्मू-कश्मीर पुलिस और आईबी को बल्कि दिल्ली पुलिस को भी जानकारी थी। इसके बावजूद स्पेशल सेल ने वाहवाही लूटने के मकसद से लियाकत को फिदायीन हमले की साजिश में गिरफ्तार कर लिया।

जबकि स्पेशल सेल के कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने दावा किया कि लियाकत की निशानदेही पर ही जामा मस्जिद इलाके के हाजी अराफात गेस्ट हाउस से एके-56 राइफल, 220 ग्राम विस्फोटक और हैंड ग्रेनेड बरामद कर दिल्ली को आत्मघाती हमले से बचाया गया है। उन्होंने इस बात को भी गलत बताया कि लियाकत सरेंडर करने आ रहा था।

हिजबुल मुजाहिदीन के कथित आतंकी लियाकत अली शाह की गिरफ्तारी पर बवाल बढ़ता जा रहा है। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इसके विरोध में खुलकर सामने आ गए हैं। इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से बात करने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस के दावों को गलत बताते हुए कहा कि इस पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंपी जानी चाहिए। कश्मीर पुलिस और लियाकत के परिवार वालों का कहना है कि वह राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत कश्मीर में बसने के लिए पीओके से नेपाल के रास्ते लौट रहा था।

जब लियाकत शाह को गोरखपुर में ट्रेन से गिरफ्तार किया गया था, तो उसके साथ पीओके से आ रहा उसका परिवार भी था। लियाकत मूल रूप से कश्मीर के कुपवाड़ा का रहने वाला है। उसका बड़ा भाई मंजूर शाह भी आतंकी था और शुरू में दोनों भाई अल-बरक नामक आतंकी संगठन के साथ जुड़े थे। 1993 में लियाकत का भाई एक मुठभेड़ में मारा गया, लेकिन वह सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग निकला। 1997 में वह पीओके चला गया था और वहां उसने मुजफ्फराबाद में दूसरी शादी कर ली। लियाकत अपने भाई की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था। उसके परिवार वालों का कहना है कि वह एक सामान्य जिंदगी जीने की चाह में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ घर लौट रहा था। लियाकत की पहली बीवी अमीना बेगम का कहना है, ‘हमने उनकी वापसी के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली थीं, कुपवाड़ा में डेप्युटी कमिश्नर के ऑफिस में फॉर्म भी भर दिया था। पुलिस ने उनके खिलाफ झूठा मामला बनाया है।’ परिवार का कहना है कि उसके आने के रूट के बारे में भी सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी थी। सीमा सुरक्षा बल को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की टीम ने गोरखपुर जाकर लियाकत को गिरफ्तार कर लिया।