इलाहाबाद : प्रदेश के तकनीकी कालेजों में छात्र फीस प्रतिपूर्ति मामले में गलत हलफनामा देने पर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा तकनीकी को 8 अपै्रल को तलब किया है और स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों ने उनके विरुद्ध अवमानना कार्यवाही की जाय। अदालत ने यह भी कहा है कि क्यों न फीस प्रतिपूर्ति मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी जाय।
कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सदाकांत से हलफनामा के जरिये यह बताने को कहा है कि फीस संस्था के जरिये कैसे छात्रों के बैंक खाते में जायेगी तथा परीक्षा में फेल छात्र पढ़ रहे हैं या नहीं और उन्हें फीस प्रतिपूर्ति हो रही है या नहीं इसका पता सरकार कैसे लगाती है? क्या शिक्षा के लिए जारी धन अन्य कार्यो में तो उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की कि सरकार को यह पता नहीं कि छात्रों को फीस प्रतिपूर्ति हो रही है या नही, केवल वह सभी जिलों को धन भेज रही है। भेजा गया धन एक खाते से दूसरे खाते में चल गया। उद्देश्य पूर्ति हो सकी या नहीं, सरकार को जानकारी नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि फीस प्रतिपूर्ति का पैसा बजट सत्र समाप्त होने के कारण लैप्स न किया जाय।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टण्डन ने छात्र फीस प्रतिपूर्ति की मांग को लेकर दाखिल छात्रों व कालेजों की याचिकाओं पर दिया है। तकनीकी विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि सही आंकडे़ नही दिये जा रहे। यह भी बताया गया कि कालेज कागजी भर्ती कर फीस प्रतिपूर्ति प्राप्त कर रहे हैं। वास्तविक छात्रों तक धन नहीं पहुंच पा रहा है। कोर्ट ने एससी छात्रों की फीस के बाबत भी पूछा है।
कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने धन भेज दिया किन्तु पता नहीं किया गया कि वह सही हाथों में पहुंचा या नहीं। स्टेट स्तर पर मानीटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं। कोर्ट द्वारा मांगी गयी जानकारी भी सरकार द्वारा भ्रमपूर्ण एवं गलत दी गयी जिस पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया है।
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