बयानवीर वर्मा पर चौतरफा वार, सरकार बचाने के लिए बेनी की बलि लेंगी सोनिया?

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Beni Prasad Vermaनई दिल्ली. ऐसा लग रहा है कि बेनी प्रसाद वर्मा को मंत्री पद की कुर्बान करना होगा। उन पर चौतरफा हमले हो रहे हैं और सपा भी नरम नहीं हो रही है। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि बेनी प्रसाद वर्मा की जुबान पर लगाम लगाना चाहिए और ऐसे लोगों को मंत्री पद से हटा देना चाहिए। जद(यू) अध्‍यक्ष शरद यादव ने भी कहा कि एक मंत्री को शब्‍दों का इस्‍तेमाल मर्यादा में रहते हुए करना चाहिए। भाजपा नेता सुषमा स्‍वराज ने भी कहा है कि मनमोहन सिंह को बेनी प्रसाद को अपने मंत्रिमंडल से निकालना चाहिए। इन नेताओं के बयान से उत्‍साहित मुलायम सिंह ने भी बुधवार को अपना रुख नरम करने का कोई संकेत नहीं दिया। ऐसे में खबर यह भी आ रही है कि सोनिया गांधी ने बेनी प्रसाद वर्मा से इस्‍तीफा देने के लिए कह दिया है। बुधवार को संसद के दोनों सदनों में बेनी और श्रीलंकाई तमिलों का मुद्दा ही छाया रहा। डीएमके सांसद वसंती स्टैनली तो राज्यसभा में नारे लगाती हुई गिर पड़ीं।

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डीएमके के हाथ खींचने के बाद सपा के सख्‍त तेवरों से सरकार सकते में है। सोनिया गांधी ने मुलायम से बात कर और मनमोहन सिंह ने बेनी प्रसाद को तलब कर यह कोशिश की कि सपा रुख नरम कर ले। पर सपा बेनी प्रसाद वर्मा को केंद्र सरकार से बाहर करने की जिद पर अड़ गई है।

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बुधवार को पीएम से मिलने के बाद जब बेनी मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्‍होंने एक लाइन का वक्‍तव्‍य दिया, ”अगर मेरी बातों से किसी को दुख पहुंचा हो तो मैं खेद जताता हूं।’ (पढ़ें, बेनी के 9 विवादित बयान) लेकिन इस बयान के बाद भी सपा सांसदों ने राज्‍यसभा में इस मामले को फिर से उठाया और उन्‍हें मंत्री पद से हटाने की मांग की। हंगामे के चलते राज्‍यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे एक घंटा के लिए स्‍थगित करनी पड़ी। संसद भवन के बाहर जब पत्रकारों ने मुलायम को घेरा तो उन्‍होंने भी बस इतना कहा कि बेनी के मामले में अंतिम निर्णय गुरुवार को लिया जाएगा और जो भी निर्णय होगा, वह आपको बता दिया जाएगा। गुरुवार को सपा संसदीय दल की बैठक है।

इस बीच, कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को कहा है कि वह गुरुवार को संसद में हाजिर रहें। अगर डीएमके के बाद सपा ने भी सरकार का साथ छोड़ दिया तो नंबर गेम में केंद्र सरकार बड़ी मुश्किल में फंस जाएगी (पढें- फिर क्‍या रहेगा बहुमत का आंकड़ा और क्‍या हो सकता है संभावित गणित)। हालांकि कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल ने बुधवार को जद(यू) नेता शरद यादव से मुलाकात की। कांग्रेस के नेता और मंत्री अश्विनी कुमार ने इस मुलाकात के बारे में तो कुछ नहीं बताया, लेकिन यह जरूर कहा कि राजनीति में संवाद चलता रहता है और किसी के लिए दरवाजे बंद नहीं होते।

सारा विवाद बेनी के एक बयान से शुरू हुआ है। बेनी ने कहा था कि सपा केंद्र सरकार को समर्थन के बदले कमीशन लेती है। हालांकि बाद में बेनी का कहना था कि उनके हवाले से यह बयान जिस अंग्रेजी अखबार ने छापा है, उससे उन्‍होंने बात ही नहीं की है (बेनी का पूरा बयान पढ़ें)। लेकिन बेनी ने यह बयान एक आम सभा में दिया था और उसके अगले दिन वह बयान पर कायम भी थे। इस पर मुलायम ने तल्‍ख तेवर दिखाते हुए कहा था कि कांग्रेस बताए कि वह समर्थन के बदले सपा को रोज कितना कमीशन देती है।

समाजवादी पार्टी ने केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के इस्तीफे को लेकर बुधवार को संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया। यूपीए सरकार के संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ ने केंद्रीय इस्पात मंत्री के बयान पर खेद जताया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि बेनी का मुद्दा खत्म हो गया था लेकिन समाजवादी पार्टी ने इसे फिर से उभार दिया है। सपा सरकार को बाहर से समर्थन दे रही है। अगर वह यूपीए सरकार पर दबाव बनाने के लिए समर्थन वापस ले लेती है तो यूपीए के पास सत्ता में बने रहने के लिए तृणमूल कांग्रेस और जेडीयू को साथ लाने का ही विकल्प बचेगा।