फर्रुखाबाद: होली का त्यौहार जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, बाजार में मिलावटी वस्तुओं की भरमार सी दिखायी देने लगी है। मिलावटी रंगों से लेकर, मिलावटी खोया, मिलावटी तेल, घी, हल्दी, मिर्च, मसाले और न जाने कितनी वस्तुएं। लेकिन प्रशासन के कानों में अभी भनक तक नहीं लग रही है। हो सकता है कि त्यौहार के एक दो दिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कुछ गिनी चुनी दुकानों पर अभियान चलाकर इतिश्री कर ली जाये। लेकिन जनता को प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुजिया से लेकर अन्य पकवान मिलावटी चीजों से ही बनाने पड़ेंगे।
भारत में होली त्यौहार को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। होली गांव की गलियों से लेकर राजधानी की चमचमाती सड़कों तक रंगबिरंगी छटा बिखेरती है। लेकिन महंगाई के इस दौर में अब होली के त्यौहार की रंगबिरंगी छटा धुंधली पड़ती नजर आ रही है। अब होली के त्यौहार को लेकर लोगों में न वह खुमार रहा और न वह चौपई व होलीगीत। भीड़ भरी जिंदगी में अब सब कुछ यूं ही निबटाने में लोग ज्यादा उचित समझते हैं।
गांव के निवासी उल्फत चचा बताते हैं कि पहले होली के पहले से ही प्रत्येक गांव में दो से चार चौपई बंध जाती थी। जहां पर प्रति दिन होली गीत होते थे। इसके साथ ही चौपई में ढोलक, तांसे बाजे के साथ लोग फागुन गीत गाकर होली का आनंद लेते थे। यह दौर होली गुजरने के लगभग आठ दिन तक जारी रहता था। लेकिन अब वह सब कुछ लोगों की व्यस्तता में गुम हो गया है।
वहीं दूसरी तरफ बाजार में भी पहले जैसी शुद्ध वस्तुओं का अभाव सा हो गया है। बाजार में अब कोई भी चीज शुद्ध नहीं मिलती। सिंथेटिक दूध, खोये में अरारोट, तेल में पाम आयल, हल्दी में रंग, मिर्च में पाउडर और न जाने क्या क्या मिलावट कर खाद्य पदार्थों को दूषित किया जा रहा है। जिससे दिनों दिन लोगों का स्वास्थ्य भी खराब होता जा रहा है।
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बाजार में मिलावटी खोये को इकट्ठा करना दुकानदारों ने अभी से ही शुरू कर दिया। खाने पीने से सम्बंधित अन्य मिलावटी वस्तुओं की भी शहर में भरमार हो गयी। लेकिन जिम्मेदार खाद्य अधिकारी न जाने क्यों आम आदमी के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होते देखकर भी नजरंदाज कर रहे हैं। लोग इन खाद्य निरीक्षकों व अधिकारियों पर भी उंगली उठा रहे हैं।