लखनऊ| पिछले दिनो उत्तर प्रदेश के कुण्डा मे एक ऐसे डीएसपी को मार दिया गया जो प्रदेश के इतिहास मे पिछले बाइस वर्षो मे पीपीएस बनने वाला एकमात्र मुसलमान था। वैसे तो इससे पूर्व भी कई पुलिस अधिकारी शहीद हो चुके हैं, लेकिन जियाउल हक की शहादत से प्रदेश की सियासत मे भूचाल आ गया है। एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी की मौत के बाद जहाँ एक ओर प्रदेश के सभी राजनीतिक दल वोटों की गणित मे उलझ गये हैं तो वहीं दूसरी ओर शहीद डीएसपी की पत्नी उनकी मौत की अधिकतम भरपाई सरकार से करा लेना चाहती हैं और इसके लिए वह हर रोज एक नई मांग के साथ सामने आ जाती हैं। वोटों की राजनीति और शहीद की पत्नी की मांगों के बीच फंसी सरकार जहां दबाव मे अजीबोगरीब फैसले ले रही है वहीं अन्य दल भी इस मसले को अपने अपने हिसाब से मोडने मे लगे हैं।
शहीद डीएसपी जियाउल हक की शहादत ने सरकार और राजनीतिक दलो को मुसलमान अफसर होने के मायने जरूर समझा दिये हैं। शहीद की पत्नी परवीन आजाद ने जहां एक ओर सरकार को अपने कदमो मे झुका रखा है वहीं सभी राजनैतिक दलों के बडे-बडों को अपने दर पर सजदा करने पर मजबूर भी कर रखा है। जिस तरह के आर्थिक पॅकेज और राहतें देकर सरकार अपने वोट बैंक को संभालने का प्रयास कर रही हैं| साफ नजर आ रहा है कि सरकार दबाव मे है। यह देश मे पहला ऐसा मामला है जिसमे सभी दलों के नेता बराबर की दौड़ लगा रहे हैं। पीडित परिजनों की मदद मे शिददत से लगे इन पक्ष-विपक्ष के नेताओं की गतिशीलता को एक धार्मिक उलेमा ने और सक्रिय कर रखा है। एक ओर जहां प्रदेश सरकार पीडित पक्ष की हर मांग मानकर खुद को पाक साफ बताने मे लगी है वहीं अन्य दलों के दिग्गज उसे इस मसले से निकलने नहीं देना चाह रहे हैं।
इससे पूर्व भी कई पुलिस अफसर शहीद हुए पर पीडित के दरवाजे पर सीएम क्या विपक्ष का कोई नेता तक नही फटका पर जिस दर पर वोटो की गणित उलझी हो उसका चक्कर तो लगाना ही पडेगा फिर क्या सत्ता पक्ष और क्या विपक्ष ?डीएसपी की मौत को जहां उनकी पत्नी साजिश मानती हैं वहीं भाजपा के सांसद योगी आदित्यनाथ इसे राजा भैया के खिलाफ सरकार की साजिश मानते हैं। उनका कहना है कि सरकार के एक अलपसंख्यक मंत्री की शह पर राजा भैया को फंसाया जा रहा है।उन्हे ना तो प्रदेश सरकार की जांच पर भरोसा है और ना ही सीबीआई की जांच पर। वे इस मामले मे न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। पीडित पक्ष को सरकार द्वारा दी जा राहतों के तरीके पर सवाल उठ रहे हैं तो अन्य राजनीतिक दलों की इस मामले मे अति सक्रियता भी एक मुसलमान डीएसपी होने के मायने को समझा रही है।