आइटम गीतों के बारे में सरकार ने फैसला किया है कि इस तरह के गानों को ‘सिर्फ वयस्कों के लिए’घोषित कर टीवी चैनलों पर इनका सामान्य प्रसारण रोक दिया जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि ‘मुन्नी बदनाम हुई’, ‘शीला की जवानी’, ‘चिकनी चमेली’, ‘फेविकॉल’, ‘हलकट जवानी’जैसे हिट आइटम गीत अब टीवी पर नजर नहीं आएंगे।
फिल्मों में अक्सर दर्शाए जाने वाले चलताऊ आइटम गीतों के बारे में केंद्र सरकार के हालिया फैसले के बाद एक बार फिर यह मुद्दा गरमा गया है। सरकार ने फैसला किया है कि इस तरह के गानों को ‘सिर्फ वयस्कों के लिए’घोषित कर टीवी चैनलों पर इनका सामान्य प्रसारण रोक दिया जाएगा। इसका अर्थ यह हुआ कि ‘मुन्नी बदनाम हुई’, ‘शीला की जवानी’, ‘चिकनी चमेली’, ‘फेविकॉल’, ‘हलकट जवानी’जैसे हिट आइटम गीत अब टीवी पर नजर नहीं आएंगे।
सेंसर बोर्ड ने सरकार से कहा है कि इस संबंध में पहले ही सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश भेज दिया गया है और साथ ही यह भी कहा गया है कि ऐसे गानों के लिए ‘ए’यानी केवल वयस्कों के लिए प्रमाण पत्र जारी किया जाए। बोर्ड ने कहा है कि ऐसे गानों को टीवी चैनलों पर दिखाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। ज्यादा से ज्यादा टीवी पर ‘यू ए’रेटिंग वाली सामग्री ही दिखाई जा सकती है। इसके साथ ही बोर्ड ने फिल्म के गाने या दृश्य में महिलाओं के खिलाफ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हिंसा दिखाए जाने पर सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है। बोर्ड ने कहा है कि या तो ऐसे दृश्यों को हटाने की सिफारिश की जाएगी या इन्हें ‘ए’सर्टिफिकेट के साथ जारी किया जाएगा।
पिछले साल 16 दिसंबर को दिल्ली में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ फिल्मी गीतों की बिगड़ती भाषा पर भी लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। इस विरोध के बीच बॉलीवुड के गानों को भी आड़े हाथों लिया जा रहा है। फिल्मी गीतों में महिलाओं के लिए इस्तेमाल किए जा रहे शब्दों पर आपत्ति जताते हुए हाल ही फिल्म ‘दबंग-2 ‘के गीत ‘फेविकॉल’को भी घेरे में लिया जा रहा है। हाल ही जब मीडिया ने इस फिल्म की गीतकार और संगीतकार जोड़ी साजिद-वाजिद से इस विषय में बात की, तो साजिद ने थोड़े व्यंग्य से कहा, ‘आप साबित कर दो कि यह गाना अश्लील है, तो मैं इस तरह के गाने बनाना बंद कर दूंगा।’साजिद हंसते हुए कहते हैं, ‘अरे, ‘मेरे फोटो को सीने से यार चिपकाले जरा फेविकॉल से…’इसमें क्या बुराई है, यह तो हंसी-मजाक है।’पर वे इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके कि किसी महिला के बारे में यह कहना कहां तक सही है कि ‘मैं तो तंदूरी मुर्गी हूं यार, गटकाले मुझे एलकोहॉल से’! वे बस इतना ही कहते हैं कि यह एक हल्का-फुल्का गीत है और इसकी अश्लील गानों से तुलना करना गलत है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया और इसके बाद ही सेंसर बोर्ड ने आइटम गीतों को टेलीविजन पर प्रतिबंधित करने का फैसला किया। केंद्रीय फिल्म प्रमाणीकरण बोर्ड (सेंसर बोर्ड) की सीईओ पंकजा ठाकुर कहती हैं, ‘टीवी सीरियलों और सिनेमा के जरिए समाज में फैल रही अश्लीलता पर रोक लगाने लिए ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं। हाल में हमें दो गानों के लिए सामान्य लोगों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ राष्ट्रीय महिला आयोग तक की चिट्ठियां मिली थीं। ऐसे गाने सचमुच केवल वयस्कों के लिए होते हैं। हम स्वयं यह परिभाषित नहीं कर रहे कि आइटम गीत क्या है, लेकिन बोल और दृश्य में अगर ऐसा लगे कि गाने केवल वयस्कों के लिए हैं, तो उसे ‘ए’सर्टिफिकेट देना चाहिए।’सेंसर बोर्ड की सीईओ यह भी खुलासा करती हैं कि समाज में फैल रही अश्लीलता पर रोक लगाने लिए ही ये कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले को दिल्ली गैंगरेप से जोड़कर देखना गलत है। बोर्ड की सीईओ ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को ऐसे दृश्यों को हटाने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। आपसी सहमति से यदि वे सीन कट करने को राजी हों, तो ज्यादा बेहतर रहेगा।