लखनऊ। पति की शहादत को भुनाने के लिए सीओ की विधवा ने नौकरी पाने के लिए रचा कुचक्र सरकार द्वारा मांगी गई लिस्ट में पति के घर वालों की जगह दिया मायके वालों का नाम । जी हाँ अभी सीओ जिया उल हक की कब्र की मिट्टी सुखी भी नहीं की उसकी बेवा ने सरकार से अपने लिए पुलिस उपाधीक्षक का पद और अपने मायके वालो के लिए सरकारी नौकरियों की मांग रख दी । पति की शहादत को भुनाने के लिए पत्नी द्वारा चले गए इस कुचक्र पर ससुराल के लोग खफा है । क्षेत्राधिकारी के गाँव गए सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने सीओ के परिवार वालों को उसकी शहादत के नाम पर पांच लोगो को सरकारी नौकरी देने का आश्वाशन दिया था लेकिन सीओ जिया उल हक की बेवा ने प्रशासन को 8 लोगो की लिस्ट थमा दी ।
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डीएसपी के भाई सोहराब अली का कहना है कि नौकरी की लिस्ट में परिवार के लोगों को वरीयता मिलनी चाहिए, लेकिन भाभी (परवीन) ने अपनी बहन और चचेरे भाई को वरीयता दी है। सोहराब का यह भी कहना है कि विरासत का लाभ परिवार के सदस्यों को दिया जाता है। भाभी द्वारा मायके के लोगों व रिश्तेदारों का नाम सूची में दिए जाने पर हमें आपत्ति है। डीएसपी के भाई सोहराब अली ने बताया कि भाभी को वरीयता मिलनी चाहिए, लेकिन उनके बाद मेरे परिवार के सदस्यों को महत्व दिया जाना चाहिए। भाभी ने जो सूची सौंपी है, उसमें अपनी बहन व रिश्तेदारों को वरीयता दी है। चचेरे भाई का नाम सूची में सबसे नीचे है।
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परवीन की बनाई सूची परवीन ने नौकरी के लिए जो वरीयता सूची प्रशासन को दी है, उनमें खुद के अलावा देवर सोहराब अली, अपनी छोटी बहन बीटेक की छात्रा फरहीन आजाद, ननद के पति मुजीबुर्रहमान व बहन के पति इस्माइल अहमद, ननद कनीज फातिमा व राजिया खातून और चचेरे देवर रुस्तम अली का नाम शामिल किया है। उधर सीओ जिया उल हक के पिता शमशुल हक का कहना है की जिया उल हक की पढाई लिखाई में पुरे परिवार ने उसका साथ दिया था । मैं खुद गरीब आदमी हूँ उसे अकेले नहीं पढ़ा सकता था, मेरे भाई और उसके परिवार ने जिया उल हक की पढाई लिखाई में खासी मदद की इसलिए नौकरी मिलने में पहली वरीयता जिया उल हक के परिजनों को मिलनी चाहिए ।
जिया उल हक की बीबी द्वारा प्रशासन को मुहैया कराई गई लिस्ट से वो खासे नाराज है, जिया उल हक की बेवा सरकार की भलमनसाहत का गलत फायदा उठाने की कोशिस कर रही है । परवीन आज़ाद के इस फैसले से गांवे वालों और रिश्तेदारों में खासा रोष है । उधर सीओ की बेवा परवीन आज़ाद के ऊपर ये आरोप लग रहा है की वो अपने मायके वालों के दबाव में ये लिस्ट बना रही है | जबकि परवीन आज़ाद ने कहा की उसके ऊपर किसी का दबाव नहीं है |