जाल कसने में जुटी यूपी सरकार, एक साथ कई बदल डाले

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लखनऊ : बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर कठघरे में घिरी सरकार अब ढीले पेंच कसने में जुट गयी है। सरकार ने प्रतापगढ़ में सीओ को भीड़ के आगे छोड़कर भागने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की ही, नोएडा में श्रमिक आंदोलन के दौरान हुए भारी बवाल के लिए एडीजी/आइजी मेरठ और एसएसपी गौतमबुद्धनगर को भी हटाकर डीजीपी कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया है।

सरकार अफसरों को हटाकर अपनी साख बचाने में जुटी है। शुरूआती दौर में घटनाओं को नजरअंदाज करने वाली सरकार ने अपने एक सीओ को गंवाने के बाद सबक लिया है। चूंकि इस समय विधानमंडल का सत्र चल रहा है, इसलिए आक्रामक विपक्ष के तीरों से बचने के लिए सरकार अफसरों पर कार्रवाई कर अपना बचाव करने में जुटी है। ध्यान रहे कि 20 फरवरी को श्रमिक संगठनों की हड़ताल के दौरान नोएडा में भारी हिंसा हुई। पुलिस प्रशासन ने इससे बचने के लिए कोई तैयारी ही नहीं की थी और शीर्ष अफसर अपने क्षेत्र में थे ही नहीं। लिहाजा उपद्रवी भारी पड़े। शासन स्तर से कमिश्नर को निर्देश दिया गया कि अपर आयुक्त से जांच करायें, लेकिन बीस फरवरी की देर रात उच्च स्तरीय समिति का गठन कर मामले की जांच अपर पुलिस महानिदेशक अरुण कुमार और गृह सचिव राकेश को सौंपी गयी। जांच के लिए तीन दिन का मौका दिया गया। इस समिति ने 22 फरवरी को नोएडा पहुंचकर जांच शुरू की और 24 फरवरी की शाम को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। तबसे इस जांच रिपोर्ट पर सरकार के एक्शन का इंतजार था, लेकिन सरकार खामोशी ओढ़े थी।
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प्रतापगढ़ की घटना को लेकर सवालों से घिरने के बाद सरकार ने आखिरकार नोएडा मामले में भी कदम उठाया है। जब इस संदर्भ में गृह सचिव कमल सक्सेना से पत्रकारों ने पूछा कि नोएडा की घटना के लिए बाकी जिम्मेदार अफसरों पर अभी कार्रवाई क्यों नहीं हुई तो उनका कहना था कि जांच रिपोर्ट पर अभी परीक्षण चल रहा है। परीक्षण के बाद जो कार्रवाई होगी, उसे बताया जायेगा। तो एडीजी और एसएसपी को क्यों हटाया गया? सक्सेना ने कहा कि उन्हें जनहित में हटाया गया है।