लखनऊ : आज़ादी के बाद भले ही रियासतें सल्तनतें खत्म हुई हों लेकिन सूबे के कुंडा इलाके में कल भी राजपरिवार का जलवा था और आज भी राजपरिवार के वारिस का ही जलवा कायम है| रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया एक ऐसा नाम जो कभी उत्तर प्रदेश के कुख्यात गुंडों में सबसे ऊपर था। दहशत इतनी की जनाब जबभी चुनाव लड़े बिना प्रचार के ही जीत गए| स्वयं ही नहीं जीते एक दो चेले चपाटों को भी जीता लाये| प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने राजा भैया को ’’कुंडा का गुंडा’’ कहा था। लेकिन इसे राजा भैया का भाग्य कहें या फिर बीजेपी का दुर्भाग्य की पहली बार बीजेपी ने ही राजा भैया को मंत्री पद तोहफे में दिया था। कालांतर में राजा भैया के सम्बन्ध बीजेपी से ख़राब हो गए और ये जा बैठे मुलायम की गोद में जिनके दरबार के दरवाजे हर उस व्यक्ति के लिए दिन रात खुले होते हैं जो उनको चुनावो में मदद कर सके फिर उसका चाल चरित्र कैसा भी हो| इसका लाभ ये रहा की राजा भैया हमेशा सपा सरकारों में मलाईदार विभाग के मंत्री रहे इसी तरह लम्बी-लम्बी जेल यात्रा करने के बाद राजा भैया वर्त्तमान सपा सरकार में जेल मंत्री हैं। इसके बाद प्रदेश की जेलों के हालत किसी से छुपी नहीं हैं। फ़िलहाल करोड़ो रुपये के अनाज घोटाले के आरोपी इस गुंडा मंत्री के विरुद्ध कार्रवाई करने की हिम्मत किसी में भी नहीं है।
वर्त्तमान में भले ही उत्तर प्रदेश में समाजवाद ना आया हो लेकिन प्रदेश की जेलों में मुजरिम राज अवश्य ही आ गया है| अपने चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बाहुबली डीपी यादव को समाजवादी पार्टी में लेने से इनकार कर दिया इससे मतदाताओं में एक अच्छा सन्देश गया कि इस बार प्रदेश में गुंडों और बहुबलिओं को सरकारी आसरा नहीं मिलेगा| लेकिन अखिलेश यादव की शपथ ग्रहण समारोह में ही राजा भैया ने भी मंत्री पद की शपथ ली| फिर क्या था प्रदेश की जनता को तो समाजवाद के दर्शन नहीं हुए हाँ जेलों में समाजवाद ने पैर पसार लिए| बेरोजगारी भत्ता और लैपटॉप भले ही न बातें हो लेकिन कैदी जेल अधिकारियों में लात घूसें दिल खोलकर बाटने लगे| बेचारे अधिकारी पिटने के बाद सफाई दे रहे हैं कि मामूली घटना है इसे राजनीति का रंग न चड़ने दें| समाजवादी सरकार बनने के एक महीने के अन्दर ही राजा भैया ने इतना नाम कमाया की बाकि सरकारी उपलब्धियां कोने में नज़र आने लगी। अभी जेलों में ताबड़-तोड़ घटनाओं ने विराम ही लगाया था की जेल मंत्री राजा भैया के पूर्व पीआरओ ने मंत्री पर गरीबों का करोड़ों रुपए का खाद्यान हडपने का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री अखिलेश सहित मंत्री को भी मुश्किल में डाल दिया है। ऐसा नहीं है कि सूबे के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश जानते नहीं कि राजा भैया के इन कारनामों से सरकार की भद्द पिट रही है, लेकिन बेचारे चाहकर भी कुछ कर पाने कि हैसियत में नहीं हैं क्योंकि राजा भैया उनके पिता धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव के संरक्षण में है| अब भला एक भारतीय बेटा कैसे पिता के विरुद्ध जा सकता है और पिता भी मुलायम जैसा जिसने सभी विरोधों को दरकिनार करते हुए बेटे को मुख्यमंत्री का पद दिया है|
वैसे देखा जाये तो अखिलेश इसके लिए तैयार थे शपथ ग्रहण करने के बाद से ही उन पर आपराधिक छवि के राजा भैया को मंत्रिमंडल में शामिल करने का आरोप लग गया था। जिसपर अखिलेश ने राजा भैया का बचाव करते हुए कहा कि यह मुकदमे राजनीतिक दुर्भावना के चलते पिछली सरकार ने लगवाये हैं। राजा भैया किस तरह के हैं ये जनता और स्वयं मुख्यमंत्री बखूबी जानते हैं| प्रदेश कि जनता के गले से एक बात नहीं उतर रही है कि जब डीपी यादव को अखिलेश ने समाजवादी पार्टी में नहीं लिया तब ऐसी कौन सी मज़बूरी थी कि बहुमत में होने के बाद भी एक निर्दालिये को न सिर्फ मंत्री बनाया बल्कि उसे जेल विभाग भी दे दिया। मंत्री बनते ही राजा भैया का सबसे पहला बयान यही थी कि लम्बे समय तक जेल में रहे हैं इसलिए उन्हें जेल का बेहद अनुभव हैं। कैदियो की जिंदगी बहुत खराब है इसे सुधारा जायेगा। इस बयान ने कैदियों को सन्देश दिया कि “सैयां भये कोतवाल अब डर कहेका|”
इसके बाद कैदियों ने मतवाले हाथी कि तरह जेल प्रशासन की ईट से ईट बजानी आरंभ कर दी| पहली घटना दस मार्च को बस्ती जिला जेल में सामने आयी वहां कमीशनबाजी को लेकर कैदियों और अधिकारियों के बीच विवाद हुआ जिसने एक व्यक्ति की जान ले ली और नौ बन्दी रक्षक गंभीर तौर से घायल हुए। मुश्किल से इस घटना को एक हफ्ता ही गुजरा था की सोलह मार्च को रमाबाई नगर जेल में भीषण विवाद हुआ जिसमें दो दर्जन के आसपास लोग गंभीर रूप से घायल हो अस्पताल में भर्ती हो गए। सरकार इन घटनाओं से भौचक्की नज़र आ रही थी| तभी मऊ जिला जेल महाभारत का मैदान बन गयी| इसमें दो लोगों की मौत हुई और 12 बन्दी रक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। सरकार अभी कदम उठाने का प्रयास कर रही थी की 18 अप्रैल को मेरठ जिला जेल में कैदियों ने जेल में तांडव किया। हालत इतने बुरे थे की गोली चलाने की नौबत आ गयी।
सूबे की जेलों का बुरा हाल था हर कोई ये कह रहा था कि जब जेल के अन्दर इतना उत्पात हो रहा है तब आने वाले समय में प्रदेश की क्या हालत होगी| जनता राजा भैया से स्पस्टीकरण चाहती थी लेकिन राजा भैया तो ठहरे राजा मीडिया पर ही सभी घटनाओं का ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि वह घटनाओं को बड़ा चढ़ाकर दिखा रही है। इसके बाद इन जगत भैया के पूर्व पीआरओ राजीव यादव ने कोढ़ में खाज का काम करते हुए सीबीआई को कुछ अहम् कागजात दियें जिसमें इस बात के पुख्ता सबूत थे कि पिछली सपा सरकार में जब भैया जी प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति के पद पर शोभायमान थे तब उस दौरान इन्होने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए सौ करोड़ का घपला किया था। अब सीबीआई सूत्र बता रहे हैं कि वो जल्द ही राजा भैया से पूछताछ करने वाली है|
अब आईये नज़र डालते हैं कि क्यों समाजवादी पार्टी इस गुंडे और घोटालेबाज मंत्री को संरक्षण दे रही है| दरअसल अमरसिंह के पार्टी से जाने के बाद समाजवादी पार्टी को एक बड़ा ठाकुर नेता चाहिए था जिसको वो पूरे प्रदेश में भुना सके और इसके लिए मुलायम को राजा भैया काफी मुफीद लगे| पहले समाजवादी पार्टी ने राजा भैया को विधान सभा चुनावो में ठाकुर बाहुल्य विधान सभा में उतारा जहाँ उसे लाभ मिला अब मुलायम 2014 लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में ठाकुरों के बड़े तबके पर राजा भैया द्वारा सेंध लगाना चाहते हैं| ऐसे में मुलायम राजा भैया को किसी भी तरह का कष्ट नहीं देना चाहते| अब आप इसे मुलायम का लालच समझे या फिर राजनितिक मज़बूरी ये आप पर है|