लखनऊ. यूपी में सत्ता के गलियारों में इन दिनों एक वाकया काफी चर्चा में है। पता चला है कि जनवरी में पुराने लखनऊ की एक घटना के संबंध में देर रात सीएम अखिलेश यादव ने खुद ही सीधे एसएसपी कैंप कार्यालय में फोन लगा दिया। फोन उठा तो लेकिन यहां सिपाही ने उन्हें मुख्यमंत्री मानने से ही इंकार कर दिया उलटे उन्हें ‘टाइट’ करते हुए फोन पटक दिया। कुछ ही देर बाद एसएसपी साहब ने खुद सिपाही की तरफ से माफी मांगी और किसी तरह मामला रफा-दफा कराया। हालांकि इस वाकये को लेकर तत्कालीन एसएसपी साहब अनभिज्ञता ही जता रहे हैं लेकिन ये वाकया इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार हुआ कुछ यूं कि देर रात एसएसपी दफ्तर में फोन बजता है। सिपाही फोन उठाता है, उधर से आवाज आती है कप्तान साहब से बात कराइए। सिपाही पूछता है आप कौन, कहां से बोल रहे हैं। उधर से जवाब मिलता है मैं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बोल रहा हूं, कप्तान साहब हैं तो बात कराइए। सिपाही कहता है, हांय कौन? इस पर दूसरी तरफ से शख्स फिर बोलता है मैं सीएम अखिलेश बोल रहा हूं कप्तान साहब हैं कि नहीं। अब सिपाही के तेवर कड़े हो जाते हैं, तल्ख आवाज में उत्तर देता है, पिए हो क्या, मुख्यमंत्री होते तो सीधे फोन करते अरे अपने किसी मातहत से फोन कराते। तुम्हारे जैसे पच्चीसों को रोज डील करता हूं। फोन रख। इसके बाद सिपाही ने फोन पटक दिया। फिर उसे लगा कि साहब को बताया जाए, वह फौरन एसएसपी साहब के पास गया और बताने लगा कि साहब एक फोन आया था, उधर से शख्स कह रहा था कि वह सीएम अखिलेश यादव है। बताइए मुख्यमंत्री कहीं ऐसे फोन करते हैं। उनके स्टॉफ पहले फोन करते हैं।
ये सुनना था कि एसएसपी साहब के होश उड़ गए। उन्होंने फौरन पूछा अरे, ये पता किया कि फोन कहां से आया था? ट्रेस कराओ। इसके बाद जांच की गई तो लैंडलाइन नंबर विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा मुखिया के घर का निकला। फौरन एसएसपी साहब ने उस नंबर पर फोन किया। इसके बाद एसएसपी साहब ने सिपाही की गुस्ताखी पर माफी मांगनी शुरू कर दी। आखिरकार मामला रफा-दफा कर दिया गया। जनवरी के इस वाकए के संबंध में अब जब तत्कालीन एसएसपी साहब से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सीएम दफ्तर की तरफ से जो जानकारी मांगी जाती है, वह फौरन उपलब्ध कराई जाती है। लखनऊ में जब वह तैनात थे तो मुख्यमंत्री द्वारा ऐसा कोई फोन तो नहीं आया था।
व़ैसे ये पहला मौका नहीं है जब सीएम अखिलेश को फोन पर इस तरह की स्थिति से जूझना पड़ा है। खुद मुख्यमंत्री ने पिछले साल नवंबर में खुलासा किया कि उनके पर्सनल नंबर पर एक शख्स कई बार फोन कर रहा था और कह रहा था कि आप लैपटॉप कब देंगे, जल्दी दीजिए। इसके कुछ दिनों बाद उसी शख्स ने उन्हें फोन पर ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे सार्वजनिक तौर पर बयां नहीं किया जा सकता। यही नहीं उस शख्स ने उन्हें धमकियां भी दीं। मामले में उन्होंने आदेश दिया कि इस शख्स का पता लगाया जाए। उन्होंने कहा कि उस शख्स के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने की हिदायत दी थी लेकिन यह जरूर जानना चाहते थे कि आखिर ये शख्स है कौन? बाद में पता चला कि वो श्रावस्ती या बस्ती का निवासी है और समाजवादी पार्टी से जुड़ा भी हुआ है।
यही नहीं पिछले साल ही सीएम अखिलेश ने जालौन एसपी को फोन मिला दिया तो वह भी उन्हें नहीं पहचान सके और देर रात किए इस फोन के लिए उलटे उन्हें ही डांटने लगे कि सीएम होते तो ओएसडी से फोन कराते, देर रात मजाक कर रहे हो क्या। बाद में ये एसपी साहब सपा के एक नेता की लिखित शिकायत मिलने के बाद कार्यो में गड़बड़ी पाये जाने पर निलंबित कर दिए गए। ये अब तक निलंबित हैं।