Sex Scandal के आरोपी स्वामी नित्यानंद बने महामंडलेश्वर

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ALLAHABAD: Kumbh Mela: सेक्स स्कैंडल में जेल की हवा खा चुके स्वामी नित्यानंद को आखिरकार महा मंडलेश्वर की उपाधि से नवाज़ा गया। उनको महानिर्वाणी अखाड़े ने महंत की पदवी प्रदान की है। अब उन की शान से शाही पथ पर शाही सवारी निकलेगी। बंसत पंचमी के शाही स्नान में वे महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वरों के साथ डुबकी लगाएंगे।
Nityanand
विवाद से बचने के लिए अखाड़े ने देर शाम गुपचुप तरीके से नित्यानंद का पट्टाभिषेक कर दिया। इस विवादित शख्सियत को महामंडलेश्वर की पदवी देने से पहले तमाम अखाड़ों और संतों को आमंत्रण पत्र तक नहीं बांटा गया। उनको महामंडलेश्वर पद देने की मामले मे अखाड़े ने उन पर लगे आरोपों को उन का निज़ी मामला बताया है। यह कहा गया कि यह मामला अभी भी कोर्ट मे लंबित है। यह पहला मामला है जब दक्षिण भारत के किसी संत को महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाज़ा गया है।

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नित्यानंद को महामंडलेश्वर बनाये जाने का निरंजनी अखाड़े ने खुल कर विरोध किया है। अखाडे के सचिव नरेन्द्र गिरी के मुताबिक़ किसी भी विवादित सन्यासी को गुपचुप तरीके से महामंडलेश्वर बनाना धर्म के विपरीत है। उन्होंने कहा कि परम्परा के मुताबिक़ महामंडलेश्वरों के पट्टाभिषेक में दूसरे अखाड़ों के श्री महंतों, पदाधिकारियों और प्रमुख संतो को बुलाया जाता है, वह चादर उढ़ाकर अखाड़े के इस फैसले पर अपनी मुहर लगाते हैं, लेकिन नित्यानंद के पट्टाभिषेक में गिने-चुने लोगों को छोड़कर किसी को नहीं बुलाया गया।
इस कार्यक्रम में स्वामी नित्यानंद का भी पट्टाभिषेक किया गया। उन्हें अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर विश्वदेवानंद ने पवित्र जल से स्नान करके हवन पूजन कराया। फिर तिलक लगाकर चादर ओढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दे दी गई। इसके बाद अखाड़े के पदाधिकारियों ने चादर ओढ़ाई और कार्यक्रम संपन्न हो गया। इस दौरान उनके जो भक्त अखाड़े के अंदर पहुंच गए वे पूरे कार्यक्रम के दौरान नाचते रहे।
पट्टाभिषेक का यह कार्यक्रम संक्षिप्त समय में समाप्त हो गया। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रम सुबह होते हैं और बाद में भव्य भंडारा होता है जिसमें साधु संतों और अन्य अखाड़े के पदाधिकारियों को सम्मान किया जाता है। अखाड़े के सचिव रवीन्द्र पुरी ने ऐसे आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि हादसे की वजह से संक्षिप्त कार्यक्रम रखा गया। उन पर लगे आरोपो पर उनका कहना था कि उन पर लगे सभी आरोप निजी हैं। मामला भी कोर्ट मे लंबित है। नित्यानंद उनके अखाड़े से जुड़े कलकत्ता काली पीठ के महामंडलेश्वर स्वामी हंसानंद पुरी के शिष्य हैं। अखाड़े से उनका जुड़ाव पुराना है।
आम तौर पर अखाड़ों में महामंडलेश्वर का पदवी कार्यक्रम काफी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके लिए पहले से कार्यक्रम तय होता है। सभी अखाड़ों और अफसरों को आमंत्रण पत्र भेजा जाता है। महानिर्वाणी अखाड़े ने ऐसा नहीं किया। शाम को अखाड़े के बाहर चर्चित स्वामी नित्यानंद का जुलूस नाचते गाते पहुंचा तो लोग चौंके। जुलूस से उतरकर स्वामी नित्यानंद अखाड़े में चले गए। अखाड़े के अंदर पहले से शैलप्रकाशानंद सरस्वती का पट्टाभिषेक कार्यक्रम प्रस्तावित था। निरंजनी अखाड़े के सचिव नरेन्द्र गिरी कहना है की सिर्फ गिने चुने संत-सन्यासियों को ही इस अवसर पर बुलाया गया और साथ ही नित्यानंद के पट्टाभिषेक के बाद अखाड़े की तरफ से आयोजित होने वाला भंडारा भी नहीं किया गया, क्योंकि इसमें सभी को बुलाना पड़ता। उनका यह भी मानना है की नित्यानंद को महामंडलेश्वर बनाने से इस पद की गरिमा कम हुई है। इससे पहले नित्यानंद के कुम्भ आने पहले ही जुना अखाड़े के महंत नारायण गिरी और काश-सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती समेत कई साधु-सन्यासियों ने सेक्स स्कैंडल में फंसे इस संत के कुम्भ में आने पर सवाल उठाये थे और नाराजगी जाहिर की थी।