फर्रुखाबाद: बेसिक शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और फर्जी शिक्षकों के गिरोह के विरुद्व लामबंद आरटीआई एक्टिविस्ट व शिक्षक आनंद प्रकाश सिंह के निशाने पर उनके विद्यालय में ही कार्यरत सहायक अध्यापिका कांती राठौर सहित लगभग एक दर्जन से अधिक लोग थे। शिक्षक नेता व विभागीय लिपिक भी उनके निशाने पर रहते थे। विभाग के भीतर विभागीय जानकारियों की इनसाइक्लोपीडिया समझे जाने वाले आनंद प्रकाश सिंह अक्सर शिकायतों या सूचना अधिकार आवेदनों के लिए अपने सहयोगियों और मित्रों का भी उपयोग करते थे। इसके बावजूद उन समस्त शिकायतों और आवेदनों की पैरवी और लेखाजोखा रखने की जिम्मेदारी भी वह स्वयं ही उठाते थे।
आनंद प्रकाश सिंह के माध्यम से करायी गयी एक शिकायत के निशाने पर उनके अपने ही स्कूल प्राथमिक विद्यालय रामनगर कुड़रिया में तैनात सहायक अध्यापिका कांती राठौर भी थीं। विद्यालय के छात्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसी सप्ताह दोनो के बीच विद्यालय में ही कुछ कहासुनी भी हुई थी। मजे की बात है कि इसी सप्ताह एक आरटीआई आवेदन के क्रम में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कांती राठौर को क्लीन चिट दे दी थी। जबकि बेसिक शिक्षा अधिकारी की ओर से 30 अप्रैल 2012 को कांती राठौर को जारी नोटिस में बीए के योग्यता प्रमाणपत्र के कूटरचित होने का नोटिस दिया था। इस नोटिस के सम्बंध में कोई कार्यवाही न होने पर आरटीआई आवेदन के तहत सूचनायें मांगी गयीं थीं। परन्तु बीएसए ने सूचनायें नहीं दीं। जिसके सम्बंध में सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा कानपुर एवं राज्य सूचना आयोग लखनऊ में अपीलें भी की गयीं।
जिसमें शुक्रवार को राज्य सूचना आयोग में सुनवायी होनी है। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा राजनरायन शाक्य, नरेन्द्र पाल सिह व श्रवण कुमार के विरुद्व भी शिकायत करायी गयी थी। इनमें से एक राजनरायन शाक्य तो बर्खास्त हो चुका है परन्तु अभी राजनरायन शाक्य के विरुद्व भुगतान किये गये वेतन की वसूली के सम्बंध में बीएसए से आरटीआई के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना लंबित है। इसकी भी सुनवायी शुक्रवार को राज्य सूचना आयोग लखनऊ में प्रस्तावित है। नरेन्द्र पाल सिंह व श्रवण कुमार की अब तक बर्खास्तगी न किये जाने के सम्बंध में मांगी गयी सूचना की भी सुनवायी 8 फरवरी को राज्य सूचना आयोग में होनी है।