अध्यक्ष-उपाध्यक्ष या सदस्य बनाने का क्या है आधार

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लखनऊ : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से निगमों व आयोगों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष या सदस्य बनाए जाने के मामले में जानकारी तलब की है। कोर्ट ने पूछा है कि इनकी नियुक्ति किस आधार पर की जाती है? अदालत ने हाल में नियुक्त गन्ना शोध संस्थान के उपाध्यक्ष केसी पांडेय की नियुक्ति पर भी राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि किस आधार पर आपराधिक मामलो में लिप्त लोगों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया जाता है।
निगमों-आयोग में तैनाती पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से मांगा जवाब
केसी पांडेय की नियुक्ति पर भी उठाए सवाल

यह आदेश न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की खंडपीठ ने याची डॉ. नूतन ठाकुर की ओर से अधिवक्ता अशोक पांडेय द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिए हैं।
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जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि प्रदेश के विभिन्न निगमों, आयोगों तथा कारपोरेशनो में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति असंवैधानिक तरीके से की जाती है। इसके लिए कोई मानक, नियम आदि नहीं हैं। राज्य सरकार जिसे चाहती है उसको लालबत्ती व राज्य मंत्री का दर्जा दे देती है।

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याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि कई ऐसे लोग हैं जिन पर अनेक आपराधिक मुकदमें चल रहे हैं, उनको आयोगों, निगमों तथा कॉर्पोरेशनों का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सदस्य बना दिया जाता है। याचिका में गन्ना शोध संस्थान के उपाध्यक्ष बनाए गए केसी पांडेय की नियुक्ति को भी चुनौती दी गई है। कहा गया है कि केसी पांडेय पर पशु तस्करी तथा जिलाधिकारी गोंडा को रिश्वत देने के आरोप हैं। याचिका में मांग की गई कि इनकी नियुक्ति अवैध है इसे निरस्त किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी।