फर्रुखाबाद : जन सूचना अधिनियम 2005 के अन्तर्गत जन सूचना अधिकारियों को सूचना चाहने के आवेदक को निर्धारित एक माह की अवधि में सूचना दे देनी चाहिए। लेकिन आवेदक की सूचना देने से विभाग की कारगुजारियों, अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार का खुलासा न हो इस लिए समय से सूचना नहीं दी जाती है। समय से आरटीआई एक्टिविस्टों को सम्बंधित विभागों से सूचना न मिल पाने की जनपद फर्रुखाबाद की लगभग पांच सैकड़ा शिकायतें राज्य सूचना आयोग लखनऊ में दर्ज हो चुकी हैं। कुछ जन सूचना अधिकारी आवेदक से सूचना चाहने का उद्देश्य तक पूछ बैठते हैं, तो कुछ जन सूचना अधिकारी आवेदक के आवेदन पर किये गये हस्ताक्षर को फर्जी बताते हुए कार्यालय में आकर आवेदन के हस्ताक्षर को पुष्टि करने के लिए प्रमाणित तक कराते हैं। लेकिन सूचना फिर भी नहीं देते। जिले के सर्वाधिक सूचना न देने की शिकायतें बेसिक शिक्षा विभाग के विरुद्व राज्य सूचना आयोग में दर्ज है।
आगामी आठ फरवरी 2013 को राज्य सूचना आयोग लखनऊ के कोर्ट एस8 में माननीय आयुक्त महोदया खदीजातुल कुबरा के न्यायालय में फर्रुखाबाद के विभिन्न विभागों के विरुद्व 28 शिकायतों की सुनवाई होनी है। 28 शिकायतों में ही अकेले बेसिक शिक्षा विभाग फर्रुखाबाद के विरुद्व 15 शिकायतों की सुनवायी की जानी है। इन 15 शिकायतों में आरटीआई कार्यकर्ता बालिस्टर सिंह एडवोकेट की एक, एडवोकेट जितेन्द्र सिंह की एक, हरिश्चन्द्र की एक, जितेन्द्र चतुर्वेदी की पांच, अनिल कुमार की एक व एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट की पांच की सुनवायी होनी है। पिछले एक वर्ष से बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी राज्य सूचना आयोग में सुनवायी के समय स्वयं उपस्थित नहीं होकर वादी को सूचना नहीं दे रहे हैं। लकीर पीटने के लिए अपने कार्यालय के संविदा पर नियुक्त मुहं लगे रिसोर्स टीचर अनुपम शुक्ला को सुनवाई पर भेज देते हैं। उक्त शिक्षक विकलांग बच्चों को शिक्षण न देकर अन्य कार्यों में लगा रहता है।
आगामी शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग की 15 शिकायतों के अतिरिक्त जिला विद्यालय निरीक्षक की दो, जिला पूर्ति अधिकारी की एक, विकासखण्ड अधिकारियों की तीन, जिलाधिकारी कार्यालय की तीन, उपजिलाधिकारी कार्यालय की तीन, निबंधक कार्यालय जिला सहायक निबंधक की एक व अधिशासी अधिकारी नगर पालिका फर्रुखाबाद के विरुद्व एक शिकायतों की भी सुनवायी होनी है।