फर्रुखाबाद: गणतंत्र दिवस पर पूर्व माध्यमिक विद्यालय गढ़िया के ढह जाने की घटना के बाद बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा दर्ज करायी गयी एफआईआर के जाल में अब भवन प्रभारी से लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी भी फंसते नजर आ रहे हैं।
भारी कमीशन लेकर भवन प्रभारी बनाने के काले धन्धे में हाथ सान चुके बेसिक शिक्षा कार्यालय के तमाम अफसर, मास्टर अपने ही बनाये जाल में फंसेंगे। ज्ञात हो कि 26 जनवरी को उच्च प्राथमिक विद्यालय गढ़िया में झण्डा फहराने के दौरान जब बच्चे छत पर चढ़े तो भवन का छज्जा भर भराकर गिर पड़ा। जिसमें चार बच्चे भी नीचे गिर पड़े और घायल हो गये। इसके बाद आनन फानन में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा भवन प्रभारी प्रदीप सेंगर एवं ग्राम प्रधान वेदराम के विरुद्व मऊदरवाजा थाने में धारा 336 के तहत गबन एवं जान माल को जोखिम में डालने का मुकदमा दर्ज कराया गया था। किन्तु बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा पुलिस को दी गयी तहरीर में इतने छेद थे कि ग्राम प्रधान और भवन प्रभारी न्यायिक प्रक्रिया के दौरान साफ बच निकलते। तहरीर को बनाते समय चूंकि तथ्य सत्य से काफी परे थे लिहाजा कई चूक हो गयीं। इसके बाद जब पुलिस ने अपनी जांच शुरू की तो मुकदमे के फंदे में फंसते भवन प्रभारी प्रदीप सेंगर ने इसकी काट निकाल ली। [bannergarden id=”8″]
स्कूल भवन बनाने से लेकर उसे विभाग को सही सलामत हस्तानांतरण की प्रक्रिया में भवन प्रभारी से लेकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तक की जिम्मेदारी तय होती है। खुद पर कोई आंच न आये इसके लिए वकायदा कुछ फर्जी जांचें तैयार की गयीं। इन्हीं फर्जी जांचों को बनाते समय मास्टर माइंड छोटी छोटी चूकें कर गये। भवन गिरने से एक वर्ष पहले दिनांक 8 जनवरी 2012 को खण्ड शिक्षा अधिकारी प्रवीन शुक्ला द्वारा भवन प्रभारी को स्कूल की जांच हेतु एक नोटिस दिया दर्शाया गया। इस पत्र के संदर्भ में दिनांक 27 जनवरी 2012 को अवर अभियंता आर ई एस एवं जिला समन्वयक एस एन मिश्रा के द्वारा एक जांच दर्शायी गयी।
जांच में पाया गया कि स्कूल की छत में सरिया चोरी की गयी है। 15 सेन्टी मीटर गैप के स्थान पर 25 सेन्टी मीटर की दूरी पर सरिया डाली गयी। घटिया थर्ड क्लास (सेम ईंट) इस्तेमाल होती पायी गयी। खिड़की दरबाजे मानक के अनुसार नहीं पाये गये एवं छज्जा केवल पांच सेन्टीमीटर मोटा बनाया गया।
देखने वाली बात यह है कि 27 जनवरी 2012 की यह जांच रिपोर्ट अवर अभियंता ने 11 महीने बाद 27 दिसम्बर 2012 को खण्ड शिक्षा अधिकारी प्रवीन कुमार शुक्ला को सौंपी। जिसके 27 दिन बाद प्रवीन कुमार शुक्ला ग्राम प्रधान वेदराम, अवर अभियंता आर ई एस के संयुक्त हस्ताक्षरों से उसी भवन को निर्धारित विशिष्टताओं के अनुसार पूर्ण मानते हुए हस्तांतरित कर लिया गया। यानी कि जिस भवन की छत में सरिया चोरी हो चुकी थी, उसी भवन को 27 दिन बाद पूर्ण मान लिया गया। जानकारों का मानना है कि ऐसे मामलों में मोटी थैली सारे मामले दबा देती है।
अब अपनी जान बचाने के लिए मामले में फंसे भवन प्रभारी प्रदीप सिंह सेंगर ने भवन हंस्तानांतरण पत्र मऊदरवाजा थाने को मुहैया करा दिया है। जो यह कह रहा है कि भवन गिरने से पहले विभाग के इंजीनियर और खण्ड शिक्षा अधिकारी ने बखूबी यह माना कि भवन चकाचक बना है। मऊदरवाजा थानाध्यक्ष हरपाल सिंह यादव ने बताया कि उन्होंने खण्ड शिक्षा अधिकारी प्रवीन शुक्ला को इस पत्र के आधार पर नोटिस जारी किया है।
पूरे मामले के तह में जाने पर यह तथ्य निकलकर आते हैं कि कानूनी तौर पर एफआईआर झूठी पायी जायेगी और अगर आरोपी मजबूत निकला तो फर्जी एफआईआर दर्ज कराने का मामला सम्बंधित अधिकारियों पर भी ठोक सकता है। बच्चों की जान से खेलने के खेल में ऊपर से लेकर नीचे तक सब के फंसने के आसार नजर आते हैं।
इस पूरे प्रकरण से इस बात को बल मिलता है कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा निर्माणाधीन भवनों की जांच मात्र वसूली का एक बड़ा धंधा है।