सतीश ने सपाइयों से पूछा मनाते हो तो मानते क्यों नहीं?

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HM  Iफर्रुखाबाद: लोहिया प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद सपाइयों से पूछा मनाते हो तो मानते क्यों नहीं? श्रम संविदा बोर्ड के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार नगर आगमन पर सतीश दीक्षित ने लोहिया प्रतिमा पर माल्यार्पण के उपरांत स्वागत में उमड़े सपाइयों को संबोधित किया। उन्होंने सपाइयों से पूछा कि महापुरुषों की जयंती और पुण्य तिथियां मनाते तो बहुत हैं पर मानते क्यों नहीं। जब तक हम मानना नहीं शुरू करेंगे तब तक मनाने का कोई अर्थ नहीं।

पेशे से वकील और पत्रकार व विचार धारा से खांटी समाजवादी सतीश दीक्षित शुरू से ही अपनी विशेष बौद्धिक पहचान रखते हैं। लोहिया प्रतिमा पर खड़े होकर उन्होंने एक बार फिर सपाइयों को अपने विशिष्ट अंदाज में अनुशासन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा कि हम लोहिया जी की पुण्य तिथि और जयंती तो मनाते हैं परन्तु वास्तव में मानते नहीं। हम जन्माष्ठमी और रामनवमी से लेकर बुद्ध पूर्णिमा तक मनाते तो सारे महापुरुषों की जयंतियां हैं परन्तु हम मानते उनकी भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हम उनकी मानना नहीं शुरू करते तब तक मनाने का भी कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन पर जो प्रेम और विश्वास जताया है वह आप सभी का प्रेम ही है। उन्होंने कहा कि नेता जी ने यह प्रेम और विश्वास भी मेरे माध्यम से आप पर ही व्यक्त किया है और आपको इस पर खरा उतरना है। उन्होंने कहा कि अनुशासन के साथ धैर्य और संयम ही सफलता लाता है। इसलिए अधीरता और अनुशासन हीनता को त्यागकर हमको आगे बढ़ना होगा। [bannergarden id=”8″]