पहनकर पीत के कंगन तुम्हारे द्वार आई हूं ……………….

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फर्रुखाबाद: नौवें युवा महोत्सव के कवि सम्मेलन में कई कवियों ने अपने अपने तरीके से शब्दों को कविता के धागे में पिरोया। किसी ने लोकतंत्र तो किसी ने नारी पीड़ा तो किसी ने देश प्रेम में अपनी काव्य ज्ञान का प्रदर्शन किया। इस दौरान कवियत्री गरिमा पाण्डेय ने प्रेम श्रंगार एवं माधुर्य की त्रिवेणी बहायी। उन्होंने कहा कि ‘पहन के प्रीत के कंगन तुम्हारे द्वार आई हूं, तुम्हारे वास्ते मैं ये नया उपहार लाई हूं’।

शहर क्षेत्र के लोहाई रोड स्थित भारतीय महाविद्यालय में हुए कवि सम्मेलन में हरदोई से पहुंचे कवि सतीश शुक्ल ने सामाजिक विडम्बना पर व्यंग्यरस की प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र रेल है, स्पीड अच्छी मगर इंजन फेल है। जनता इंजन का का धुआं है, एक तरफ खाई तो दूसरी तरफ कुआं है। जब इंजन ही होगा फेल तो कैसे चलेगी लोकतंत्र की रेल।

कवियित्री भारती मिश्रा ने नारी पीड़ा पर विचार रखते हुए कहा कि ये ‘किस गुनाह की ऐसी सजा मिली, पंखों को काटकर पंक्षी उड़ा दिये’। ओमप्रकाश मिश्रा कंचन ने सुभाषचन्द्र बोस का स्मरण करते हुए कहा कि भारत के लाल तेरी क्या अनोखी चाल थी। तेरी छाया से ही हुकूमत बेहाल थी। नलिन श्रीवास्तव ने कहा कि हद में रहना चाहिए उनसे सिखाया या मगर फिर भी मैं चादर के बाहर पांव फैलाता रहा। बृजकिशोर मिश्रा ने कविता पढ़ते हुए कहा कि मां न होती तो हम कहां होते, न यहां होते न वहां होते। प्रेम की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि पांवों में चुभने लगे कुन्ठा के तीर, शूल, प्रेम, निवेदन आदमी गया तभी से भूल। गरिमा पाण्डेय ने प्रेम श्रंगार और माधुर्य की त्रिवेणी में श्रोताओं को नहलाते हुए कहा कि पहनकर प्रीत के कंगन तुम्हारे द्वार आयी हूं, तुम्हारे वास्ते नया उपहार लायी हूं।

संचालन डा0 कृष्णकांत अक्षर ने किया। महोत्सव समिति के उपाध्यक्ष आकाश मिश्रा ने कवियों को सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्हं देकर सम्मानित किया। इस दौरान अध्यक्ष डा0 संदीप शर्मा, सच्चिदानंद मिश्रा, वीरेन्द्र त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।