फर्रुखाबाद : बीते चार दिनों से मौसम खराब होने से आलू किसानों को आलू के खराब होने की चिंता सता रही थी वहीं सोमवार को आलू के भाव में गिरावट आने से किसानों की चिंतायें और भी बढ़ गयीं हैं। किसानों का मानना है कि 500 रुपये प्रति कुन्टल तक यदि उनके आलू का भाव मिलता रहता है तो उनकी लागत पानी निकलता रहता है। लेकिन सोमवार को छट्टा आलू के भाव भी 500 से नीचे उतर गये।सातनपुर मण्डी भाव जहां 461 रुपये खुला तो वहीं छट्टा आलू का भाव 496 पर ही अटक गया। जिससे किसानों की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिरता नजर आया।
जनपद के आलू किसानों को हर वर्ष मंदी की मार झेलनी पड़ रही है। जिससे आलू किसान टूटता नजर आ रहा है। बीते तीन चार वर्षों से पिटने के बाद इस वर्ष आलू किसानों को उम्मीद थी कि उनके आलू का अच्छा भाव मिल जायेगा जिससे पिछले वर्षों का भी घाटा इस बार निकल आयेगा। लेकिन जिन किसानों ने अपना आलू शुरूआती कच्ची सीजन में बेच लिया उन्हें तो 800 से 900 रुपये प्रति कुन्टल का भाव मिल गया। लेकिन उन्हें भी पक्की सीजन जैसी पैदावार न मिलने से कोई विशेष फायदा नहीं हो सका। वहीं अब किसानों का मानना है कि आलू लगभग पूरा हो चुका है। लेकिन अभी आलू में मजबूती नहीं आयी है। जिससे उसे रोका नहीं जा सकता। अभी खुदने वाले आलू को हर हाल में मण्डी में पहुंचाना ही पड़ेगा। जिससे किसानों के आलू का भाव मण्डी में आने वाले कुल आलू पर निर्भर कर रहा है। जिस दिन आलू ज्यादा आ जाता है उस दिन आलू के भाव कम व जिस दिन कम आता है उस दिन आलू के भाव ज्यादा हो जाते हैं। लेकिन बीते कई दिनों से आलू के भाव 500 रुपये प्रति कुन्टल के इर्द गिर्द ही टिके हुए हैं।
लेकिन सोमवार को अचानक सातनपुर मण्डी में आलू की आवक बढ़ जाने से व्यापारियों ने छट्टा आलू भी ठुकरा कर खरीदा। सुबह सातनपुर मण्डी 461 रुपये खुली तो वहीं छट्टा आलू के भाव 496 पर ही अटक कर रह गये। जबकि किसानों का मानना था कि छट्टा आलू कम से कम सवा पांच सौ रुपये तक बिकने की उम्मीद थी लेकिन किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। आलू किसानों का मानना है कि मौसम में सुधार होने के बाद एक बार आलू के भाव में सुधार आना तय है, जिससे कई सम्पन्न किसान अपने आलू को अभी भी रोके हुए हैं, जिन्होंने अभी खुदाई शुरू नहीं की है।