फर्रुखाबाद: महंगाई के दौर में जहां एक तरफ सरकारी नौकरी पाना ज्यादातर युवाओं का इरादा बन जाता है लेकिन घूसखोरी और भ्रष्टाचार युवाओं को वहां भी नहीं छोड़ते। जिसके चलते लाखों रुपये घूस देकर भी लोग बमुस्किल सरकारी रोजगार हासिल कर पाते हैं। वहीं ज्यादातर सरकारी सर्विस में जाने के लिए घूस न दे पाने के कारण बेरोजगार ही हो जाते हैं। लेकिन ऐसे बेरोजगार और जुझारू युवाओं को पिछले 20 वर्षों से रोजगार प्रदान कर रहा है राजीवगांधी नगर स्थित अरिहंत इंटीट्यूट।
16 जुलाई 1992 से संस्थान की शुरूआत के बाद से प्रति वर्ष तकरीबन एक हजार लोगों को सस्ती दरों पर इलेक्ट्रानिक, रेफ्रीजरेशन, मोबाइल रिपेयरिंग, कम्प्यूटर डिजाइनिंग, हिन्दी, इंग्लिश टाइपिंग आदि रोजगार परक कोर्सों को कराया जाता है। जिससे तकरीबन 20 हजार युवक रोजगार प्राप्त करके विभिन्न क्षेत्रों में अपना कैरियर बना चुके हैं।
संस्थान में मोबाइल के चिप लेबिल ट्रेनिंग के अलावा अन्य टेक्निकल कोर्सेज करके युवाओं के अलावा युवतियां भी रोजगार पा रहे हैं। प्रशिक्षण लेने आये छात्र संदीप कुमार निवासी शेखापुर मोहम्मदाबाद, धर्मेन्द्र सिंह बिढ़ैल जहानगंज, ओमपाल निवासी शेखापुर मोहम्मदाबाद, जमुद्दीन बरौन, अनुज कुमार निवासी राजेपुर बहादुरपुर का मानना है कि सरकारी नौकरी मिलना तो इस दौर में सपनों की बात हो गयी। जिससे पढ़ाई करने के बाद हर तरह से नौकरी के लिए फिट होने के बाद भी रिश्वतखोरी की बजह से नौकरी न मिलने से निराश होने के बाद वह संस्थान में तकनीकी प्रशिक्षण सस्ते दामों पर लेकर रोजगार प्राप्त कर अपने परिवार का पेट पाल सकते हैं। छात्रों का मानना है कि ज्यादातर युवा अगर अपने हाथ के खुद कारीगर हैं तो किसी भी क्षेत्र में वह निराश होने के बाद कहीं भी अपने परिवार का पेट पाल सकते हैं। छात्रों ने यह भी बताया कि महंगाई के युग में हाथ का कारीगर होने का सबसे सस्ता जरिया तकनीकी शिक्षा है। जो कुछ महीने में ही रोजगार दिला देती है और छात्र अच्छी कमाई कर अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
इस सम्बंध में अरिहंत इंस्टीट्यूट के निदेशक नारायण कुमार दुबे ने बताया कि संस्थान छात्रों को कम दरों में अच्छा रोजगार प्रदान कर रहा है व संस्थान का प्रयास रहता है कि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जा सके जिससे वह अपने पैरों पर खड़े हो सकें। संस्थान में जनपद से ही नहीं आस पास के अन्य जनपदों से भी छात्र तकनीकी शिक्षा लेने के लिए आते हैं और प्रशिक्षण की अवधि पूरी होने के बाद भी अगर छात्र पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाता तो उसको निःशुल्क प्रशिक्षण संस्थान तब तक प्रदान करता है जब तक उसे पूरा परिपक्व नहीं कर दे।