फर्रुखाबाद: बीते कुछ दिनों पूर्व से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती के चलते जनपद के छपाई कारखानों को निर्धारित तिथियों में बंद रखने के आदेश दिये गये हैं। प्रशासन की तरफ से लगातार कारखानों के निरीक्षण कर बंद करवाये गये। जिस कारण शहर के आधा सैकड़ा से अधिक छपाई कारखाने बंद होने से कारखाना मालिकों को करोड़ो रुपये का चूना लग रहा है। परेशान कारखाना मालिकों ने इस सम्बंध में बैठक की। बैठक में कारखाना मालिकों के माथे पर व्यापार बंद होने से चिंता की लकीरें साफ नजर आयीं।इस दौरान कारखाना मालिकों ने कहा कि ईटीपी लगे होने के बाद भी प्रशासन ने उनके कारखानों को बंद किया है। जिसका वह शासन स्तर पर अपना पक्ष रखकर विरोध करेंगे।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन रोहित गोयल ने कारखाना मालिकों की मौजूदगी बैठक की गयी। बैठक में कारखाना मालिकों द्वारा जानकारी दी गयी कि वर्ष 2008 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कारखानों को नोटिस दिया था। नोटिस में वेस्ट पेपर मिल बोर्ड का उल्लेख था। तत्कालीन जिलाधिकारी के निर्देश पर बनी जांच टीम ने वेस्ट पेपर मिल न पाये जाने की रिपोर्ट दी। कारखानों में ईटीपी भी लग गई थी। इसके बावजूद तथ्यों को घुमाकर बंदी का आदेश थमाया गया है। कारखाना मालिकों ने कहा कि के वे लोग शासन स्तर पर अपना पक्ष रखकर इस आदेश का विरोध करेंगे।
कारखाना मालिकों ने बताया कि जिला प्रशासन ने इलाहाबाद महाकुंभ के स्नान पर्व 27 जनवरी, 10, 15, 25 फरवरी एवं 10 मार्च से दस दिन पूर्व उत्पादन बंद रखने का निर्देश दिया है। इससे वे लोग 16 से 18 जनवरी, 31 जनवरी से दो फरवरी, 4 से 6 फरवरी, 14 से 16 फरवरी एवं 28 से दो मार्च तक उत्पादन पूरी तरह बंद रखेंगे। अन्य दिनों में कारखानों में उत्पादन होगा। रंगीन जल के उत्प्रवाह को गंगा में जाने वाले नाले में पूरी तरह बंद कर लिया है।
कारखाने बंद होने से इन दिनों एक करोड़ रुपये प्रतिदिन का व्यापार ठप है। बैठक के दौरान अजय साध, सुशील साध, मुन्ना, मुकेश साध, सुभाष अग्रवाल, व्यापारी नेता पुरुषोत्तम शर्मा, करुणानिधि अग्रवाल आदि मौजूद रहे।