सीरत कमेटी ने बनायी बारावफात के जलसे की रणनीति

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फर्रुखाबाद: सीरत कमेटी की बाराबफात की तैयारियों को लेकर बैठक हुई। बैठक में जुलूस निकालने पर विस्तृत रूपरेखा तैयार की गयी। बाराबफात पर होने वाले जलसे में बहरूनी कब्बाल मौलाना मुईनुद्दीन कछौछवी भी अपना खिताब फरमायेंगे। वहीं सीरत कमेटी के 52 सदस्यों में मात्र 25 सदस्य मौजूद रहने पर विशेष चर्चा का विषय रहा।

25 जनवरी को होने जा रहे बाराबफात को लेकर सीरत कमेटी की तरफ से अभी से ही तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गयी हैं। कमेटी के लोगों को इंतजाम के लिए जिम्मेदारियां सौंपी गयी। बैठक में तय किया गया कि काजी साहब की मस्जिद से उठने वाला जुलूस पक्कापुल, चौक, नेहरू रोड, होता हुआ मदरशा शमशुल उलूम में जलसे में तब्दील हो जायेगा। जिसमें मौलाना मौलाना मुईनुद्दीन कछौछवी अपना खिताब फरमायेंगे। वहीं बैठक में सीरत कमेटी के कुल 52 सदस्यों में से मात्र 25 सदस्य ही पहुंचे। जिस पर कमेटी के लोगों ने घोर चिंता व्यक्त की। बाराबफात पर होने वाले जलसे में शायर नतीब कमालगंजवी के अलावा अन्य बहरूनी शायर भी आयेंगे।
बैठक में सेक्रेटरी इंतजार अली खां, हाजी शराफत खां भोले, मिर्जा हसीन बेग, हाफिज मुख्तार मुन्ना, सहजाद मीर खां, मोहम्मद हसीन खां, शहजाद मीर खां उर्फ बबलू आदि लोग मौजूद रहे।

छोटे बड़े साहब की दरगाह पर सालाना उर्स में अकीदतमंदों की उमड़ी भीड़
फर्रुखाबाद: नगर के मोहल्ला पुलखाम स्थित दरगाह छोटे बड़े साहब की दरगाह पर सालाना उर्स मुबारक का आयोजन किया गया। जिसमें क्षेत्र के लोगों ने भारी संख्या में जुटकर महफिल में चार चांद लगा दिये। रात में महफिले शमां का आयोजन किया गया जिसमें कब्बालों ने अपने शानदार कलाम पेश कर लोगों को वाह वाह करने पर मजबूर कर दिया।
शाम चार बजे मोहल्ला कटरा बू अली खां से सेकेटरी आफताब अली खां की जानिब से सरकारी चादर का जुलूस धूम धाम के साथ मुख्य मार्गों से होता हुआ दरगाह हजरत छोटे बड़े साहब पुलखाम पहुंचा। सालाना उर्स मुबारक मौके पर बहरूनी कब्बालों ने सूफियाना कलाम पेश कर महफिल को दीवाना बना दिया। उर्स में जीशान, फैजान कब्बाल बरेली, शाहिद नियाजी रामपुर, कमालुद्दीन कब्बाल फर्रुखाबाद, आदि ने पूरी रात महफले शमा में अपने फन का मुजाहिरा पेश किया।
इस दौरान मोहम्मद सिद्दीक मंसूरी, असलम कुरैसी, मोहम्मद समीम मियां, आदि ने शिरकत की। सालाना उर्स में मुन्ना मेहरवान कब्बाल किसी कारणवश कमेटी से नाराज होकर अपने कलाम न पढ़ सके।