पंजीरी के अत्यधिक उपयोग से दुधारू पशुओं में फैल रही डायबिटीज

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फर्रुखाबाद: केन्द्र सरकार द्वारा बाल पुष्टाहार के लिए भेजी जा रही पंजीरी जहां एक तरफ मासूम बच्चों को देखने तक को नसीब नहीं हो रही तो वहीं पशु इसको भारी मात्रा में खाने के बाद डायबिटीज जैसी भयंकर बीमारी के शिकार हो रहे हैं। यही नहीं यह बीमारी जानवरों में जानलेवा साबित हो सकती है। फिलहाल जानवरों में डायबिटीज लाइलाज बतायी जा रही है।

जनपद के अनुसूचित जाति/जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों, मलिन बस्तियों व ग्रामों के शासकीय और सामुदायिक भवनों में आंगनबाड़ी केन्द्र स्थापित किये गये हैं। जिन पर पंजीकृत 0 से 3 वर्ष तक के छोटे एवं नौनिहाल बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और किशोरियों के लिए भारत सरकार द्वारा उनके स्वास्थ्य और पोषण हेतु पंजीरी वितरण करने हेतु दी जाती है। अधिकांश आंगनबाड़ी केन्द्र खुलते ही नहीं है और इन केन्द्रों पर प्रति माह प्राप्त 15 से 16 बोरियों को बच्चों में वितरित न कर कार्यकत्री दुधारू पशु पालकों और डेरी मालिकों को बेच देती हैं। बच्चों की आई पंजीरी को दुधारू पशुओं को चारे में मिलाकर खिलाने से पशु मधुमेह रोग से पीड़ित हो रहे हैं। अशिक्षित ग्रामीण पशुओं के इस रोग को समझ नहीं पाते और वह धीरे धीरे इस बीमारी में जकड़ रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि जनपद में पशुओं की इस घातक बीमारी से लड़ने का इलाज ही नहीं है। कहा तो यहां तक जा रहा है ज्यादा मात्रा में पंजीरी खिलाने से पशुओं के बांझ होने की संभावना भी बढ़ जाती है। हालांकि ग्रामीण महज इस बजह से पुष्टाहार जानवरों को देते हैं कि इसके खाने से दूध की मात्रा बढ़ जाती है। लेकिन जैसे जैसे दूध कम होता जाता है वैसे वैसे जानवर के अंदर मधुमेह की संभावना बढ़ती चली जाती है। देश में तेजी से बढ़ रही जानवरों की समस्या से ग्रामीणों के अलावा पशु विभाग भी पूरी तरह बेफिक्र है।

इस सम्बंध में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा0 पुष्प कुमार ने जेएनआई को बताया कि पशुओं में पुष्टाहार खाने से मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन अभी तक इस बीमारी का परीक्षण नहीं किया जा सका। न ही विभाग के पास जानवरों की सुरक्षा के लिए इस बीमारी से लड़ने का कोई इलाज है। पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए पुष्टाहार न खिलाने की सलाह दी जानी चाहिए।