कपड़े नहीं सोच बदलने की जरूरत: महेन्द्र कटियार

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फर्रुखाबाद:महिलाओं से जुड़े अपराधों के बढ़ते ग्राफ पर कुछ मर्दों की राय दूसरों से अलग नजर आयी। उन्‍होंने अपराध के लिये औचित्‍य तलाशने के बजाये समाज की सोच को मुद्दा बनाया। देश में महिलाओं की सुरक्षा अब एक राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। हर क्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही चर्चायें देखने को मिल रहीं हैं। ऐसे में हमारे जनप्रतिनिधि भी महिलाओं के साथ हो रहीं बलात्कार जैसी घटनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं रहे।

महिलाओं के साथ दिनों दिन बढ़ रहे रेप व छेड़छाड़ की घटनाओं पर बोलते हुए बसपा  नेता महेन्द्र कटियार ने कहा कि लड़कियों व महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता। लोगों को महिलाओं के सम्बंध में अपनी सोच बदलनी चाहिए तभी इस तरह की जघन्य घटनओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

बसपा नेता महेन्द्र कटियार ने कहा कि भडकाऊ कपड़े पहनने से कुछ नहीं होता, हर इंसान की चाह है कि हमारी बहू बेटी अच्छे से अच्छे कपड़े पहने और आज के माहौल में ढले। लेकिन आज के इन्सान य नहीं समझते, वह उसका गलत अर्थ निकालने लगते हैं। जिसका मुख्य कारण शिक्षा व जागरूकता की कमी है।

उन्होंने कहा कि यदि भड़काऊ कपड़ों की बजह से रेप व छेड़छाड़ की घटनायें हो रहीं होतीं तो गांवों में बलात्कार व छेड़छाड़ की घटनायें क्यों होतीं। गांवों में तो बहू बेटियां भारतीय परिधान में ही शौच इत्यादि के लिए निकलतीं हैं लेकिन उनके साथ भी इस तरह की जघन्य घटनायें घट जातीं हैं। यह लोगों की शिक्षा व सोच का ही फर्क है। यदि लोग शिक्षित हों व उनमें महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना जागृत की जाये तो बलात्कार व छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर काफी हद तक रोक लगायी जा सकती है।

वहीं पूर्व ब्लाक प्रमुख अखिलेश कटियार ने कहा कि अगर इंसान के अंदर महिलाओं व युवतियों के प्रति गलत भावना पैदा न हो तो कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्या लोगों के घरों में बहने व बेटियां भड़काऊ कपड़े नहीं पहनतीं। लेकिन उन्हें अच्छी तरह मालूम होता है कि वह हमारी बहन बेटियां हैं। इसी तरह यदि समाज में भी लोग महिलाओं को अच्छी नजर से देखने लगें तो छेड़छाड़ व बलात्कार जैसी घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है। जिसके लिए समाज में आज भी शिक्षा व जागरूकता की जरूरत है।