मात्र रसोइये के भरोसे चल रहा कुंवरापुर का प्राइमरी स्कूल

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कमालगंज (फर्रुखाबाद): बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों पर कथित रूप से भले ही जनपद में सख्ती बरती जा रही हो लेकिन कानपुर व अन्य जनपदों से बाहर से आने वाली शिक्षिकायें अभी भी पुराने ढर्रे पर ही बनी हुईं हैं। ग्रामीणों के अनुसार इन अध्यापिकाओं की शिक्षा विभाग के अधिकारियों से साठगांठ रहती है, जिससे उन्हें रेगुलर ड्यूटी से छूट मिल जाती है। ऐसी ही साठगांठ के चलते कानपुर से आने वाली शिक्षिका चन्द्रकांती का है। शिक्षिका ने स्कूल की चाबी रसोइया के हवाले कर रखी है और सप्ताह में कभी कबार ही आकर खानापूरी कर मासूमों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में जुटी है।

विकासखण्ड कमालगंज क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कुअंरापुर में प्रधानाध्यापक चन्द्रकांती तैनात हैं, जोकि कानपुर से पढ़ाने के लिए आतीं हैं। इस विद्यालय में शनिवार को जब जेएनआई टीम पहुंची तो 6 – 7 बच्चे बैठे थे। विद्यालय खुला हुआ था। रसोइया धनदेवी बच्चों के बीच में बैठी हुईं थीं। अब अध्यापिका के बारे में पूछा गया तो रसोइये धनदेवी ने कहा कि कानपुर से महीने में एक दो बार आती हैं। विद्यालय की चाबी मेरे पास रहती है। हमारा काम है कि विद्यालय को खोलकर बैठ जाना। वहीं मिड डे मील के बारे में पूछा गया तो बताया कि प्रधान द्वारा खाना बनाने के लिए राशन इत्यादि ही नहीं दिया जाता। जिससे खाना नहीं बनता। वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रधानाध्यापिका कभी कभार आ जातीं हैं। सम्बंधित अधिकारी सुमित कुमार वर्मा से मिलीभगत के कारण कोई कार्यवाही आज तक शिक्षिका पर नहीं की गयी।

वहीं पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुअंरापुर में प्रधानाध्यापक लंकुशराम व सहायक अध्यापिका जूही कटियार तैनात हैं। विद्यालय में मात्र 11 बच्चे ही पंजीकृत हैं।  जिनमें भी तीन बच्चे उपस्थित मिले। शनिवार को सहायक अध्यापिका जूही कटियार अवकाश पर थीं।
ग्रामीणों से बात करने पर उन्होंने बताया कि विद्यालय में जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। विद्यालय का निर्माण 2007 में शिक्षिका अमिता कटियार द्वारा करवाया गया था। जिसमें आज तक शौचालय इत्यादि तक पूर्ण नहीं कराये गये हैं। शिक्षिका के परिवार के ही अरुण कटियार शिक्षा विभाग में होने की बजह से कोई कार्यवाही नहीं हुई। नव निर्मित घटिया सामग्री प्रयोग करने से बिल्डिंग कई जगह से चटक चुकी है।

लगभग यही हाल प्राथमिक विद्यालय अहमदपुर देवरिया का है। जहां पर प्रधानाध्यापक धन सिंह, सहायक अध्यापक मनीश कटियार, सपना कटियार, शिक्षामित्र गीता तैनात हैं। जिनमें से शनिवार को सपना अवकाश पर चली गयीं, मनीश हस्ताक्षर करके कहीं चले गये। 73 बच्चों में मात्र 27 बच्चों की ही उपस्थिति होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने में इन शिक्षकों की क्या भूमिका है। शिक्षक मोटा वेतन लेने के बाद भी मासूमों की शिक्षा पर रत्ती मात्र भी गंभीर नहीं हैं। उनके भविष्य को चौपट करने में तुले हुए हैं। यही कारण है कि आम जनता का रुख प्राइमरी विद्यालयों से हटकर मान्टेसरी की तरफ बढ़ रहा है।

इस सम्बंध में एबीएसए ने बताया कि ग्रामीणों से जानकारी की जायेगी यदि प्रधानाध्यापिका नहीं आतीं हैं तो कार्यवाही की जायेगी।